सबों को दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ । वर्तमान में हमलोग दुर्गा पूजा मना रहे हैं । जिधर देखें उधर दुर्गा पूजा की तैयारी है । दुर्गा पूजा में सजावट में हम कितने खर्च करते हैं व हर्सोल्लास के साथ दुर्गा पूजा का पर्व मनाते हैं । दुर्गा पूजा का पर्व पूरे १० दिनों का पर्व हैं । प्रत्येक वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को कलश स्थापना के साथ नवरात्रारम्भ होता है तथा नौ दिनों तक विधिवत मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के बाद दशमी के दिन प्रतिमा विसर्जन के रश्म के साथ दुर्गा पूजा का पर्व समाप्त होता है । इस दशमी के दिन को विजया दशमी भी कहते हैं । कहते हैं इसी दिन भगवान रामचंद्र ने लंकापति रावण को मारा था और इसी दिन दस सिर वाला रावण हारा था इसीलिए इस पर्व को दशहरा भी कहते हैं।
सिर्फ दुर्गा पूजा ही नहीं अन्य पर्व भी हमलोग प्रतिवर्ष नियमित रूप से मनाते हैं । सिर्फ धार्मिक पर्व ही नहीं कई घटनाओं का वर्षगांठ या साल-गिरह हम मनातें हैं तथा कई महापुरुष के जन्म-दिन के वर्षगांठ पर उन्हें याद करते हैं । स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस व गांधी-जयंती को तो भारत में राष्ट्रीय पर्व मान लिया गया है । इतना ही नहीं अन्य कई घटनाओं का हम वर्षगांठ या साल-गिरह मनाते हैं जिसमें हम उन घटनाओं को याद करते हैं । हम अपने घर-परिवार में भी अपने या बच्चे के या घर के अन्य सदस्य के जन्म के वर्षगांठ मनाते हैं।
कुल मिलाकर कई वर्षगांठ व साल गिरह पर हम काफी रकम खर्च करते हैं पर सोचनीय है कि किसी भी घटना का वर्षगांठ या साल गिरह मनाने के पीछे हमारा क्या उद्देश्य रहना चाहिए ? जिस घटना के वर्षगांठ या साल-गिरह हम मनाते हैं क्या उस घटना से मुझे वास्तविक सिख नहीं लेनी चाहिए ? इसमें कोई दो राय नहीं है कि किसी भी घटना के वर्षगांठ या साल गिरह मनाने के पीछे हमारा उद्देश्य उस घटना को याद कर उससे अच्छाई को ग्रहण करना व बुराई को त्यागना होना चाहिए । साथ ही घटनाओं को याद कर मुझे यह भी महसूस करना चाहिए कि उस घटना में कहाँ भूल हुयी और उससे हमें भविष्य के लिए सिख लेनी चाहिए । किसी भी घटना के वर्षगांठ या साल गिरह मनाने में जबतक हम उससे कुछ सिख ग्रहण नहीं करते हैं और उसे अमल में नहीं लाते हैं तबतक उस घटना का साल-गिरह मानना निरर्थक ही होगा भले ही उसके पीछे हजारों रुपये क्यों न खर्च किये गए हों । ................दुर्गा पूजा में हम पूरे नवरात्र दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं जिसमें अंततः हम यही देखते हैं कि दानवों कि हार होती है और इसके लिए देवी को उनसे लड़ना पडा था । ................
तो आयें इस दुर्गा पूजा में हम सिर्फ बाहरी सजावट में ही पैसे खर्च न करें बल्कि इस पूजा में अन्याय व बुराई के विरुद्ध लड़ने के लिए दृढ संकल्पित हों तथा अपने में जो भी बुराई हैं उसे निकाल फेकें।
आपका
महेश
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