सोचने पर हमने है विचारा
है नहीं यहाँ बच्चों को पढने का अधिकार
है नहीं बच्चों को खेलने का अधिकार
बच्चे करते हैं होटल में काम
बेचते हैं रेल पर नशा तमाम
देखने वाला नहीं है कोई उसे
फिर हमने देश को गणतंत्र माना कैसे
गणतंत्र दिवस है आया
सोचने पर हमने विचारा
नहीं है यहाँ पीड़ित को न्याय का अधिकार
गुनाहगार घूमता है खुला बाजार
न है न्याय पाने का अधिकार
न है न्याय करने का अधिकार
न है सच बोलने का अधिकार
न है सच पर चलने का अधिकार
देश में फैली है भ्रष्टाचार
हो रही है सबों के साथ बलात्कार
तो फिर क्यों कहते हैं मेरा देश है महान
क्यों मनाऊं मैं गणतंत्र दिवस का त्यौहार
क्यों न करूँ मैं गणतंत्र दिवस का बहिष्कार
क्यों न करूँ मैं गणतंत्र दिवस का बहिष्कार
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4 comments:
सही बात!
shi bat khne ki himmat ki hai .
सत्य वचन
सही है!
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