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Justice For Mahesh Kumar Verma

Friday, October 26, 2007

अपराधी बनने का एक कारण यह भी

कोई भी व्यक्ति यों ही अपराधी नहीं बन जाता है या यों ही अपराध नहीं कर बैठता है या कोई भी व्यक्ति यों ही आत्महत्या नहीं करता है बल्कि कोई मानसिक प्रताड़ना से या कोई अन्य कारण से वह इतना टूट जाता है कि उसे अपने मामला में आगे बढ़ने के लिए कोई रास्ता नहीं रह जाता है, कोई उसका साथ देने वाला या सुनने वाला नहीं रह जाता है तो अपने ऊपर किये जा रहे अन्याय से उबकर परिस्थितिवश वह या तो अपराध कर बैठता या अपराधी बन जाता है या तो फिर आत्महत्या कर लेता है ।................
वास्तव में कितने लोगों को आज न्याय पाना तो दूर कि बात उन्हें न्याय मांगने का भी अधिकार नहीं है और यदि वह न्याय कि मांग किया तो उसके साथ और भी ज्यादा अन्याय होने लगता है । .............और उसके साथ अन्याय जब चरम-सीमा पर पहुंच जाती है, उसके साथ मानसिक प्रताड़ना इतनी अधिक हो जाती है कि ऐसी स्थिति में कभी-कभी पीड़ित विवश होकर हथियार उठा लेता है या फिर ऐसी ही स्थिति में कभी-कभी पीड़ित या तो आत्महत्या कर लेता है या फिर अपराधी बन जाता है या फिर मानसिक प्रताड़ना से जूझकर पागल हो जाता है । ................
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पाठक कृपया इस विषय पर अपना निष्पक्ष विचार दें ।

2 comments:

संगीता पुरी said...

आपने सही लिखा है....पर अगर मन को मजबूत बना लो , तो आप वह काम कर ही नहीं सकते , जो आप नहीं करना चाहते.....फिर आप वही करते हैं जो आपको पसंद है या करना है।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

उपरोक्त पोस्ट से पूर्णता सहमत हूँ. यह बिलकुल हकीकत है.

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