पिछले दिनों दिल की आवाज़ पर मांसाहार से संबंधित मेरा दो विचार (i) मंथन : विजया दशमी और मांसाहार भोजन व (ii) मांसाहार भोजन : उचित या अनुचित प्रकाशित किए गए। इन ब्लाग्स पर पाठकों द्वारा प्राप्त प्रतिक्रिया में मेरे विचार के पक्ष में व विपक्ष में दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं थी। जिसमें पाठकों द्वारा कुछ प्रश्न भी उठाए गए। प्रस्तुत आलेख पाठकों द्वारा उठाए गए प्रश्नों के जवाब के रूप में प्रस्तुत है।
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कितने लोग मांसाहार के पक्ष में यह तर्क देते हैं की शाकाहार भोजन में हम जब पेड़-पौधे रूपी जीव की हत्या कर सकते हैं तो फिर मांसाहार भोजन से परहेज क्यों? इस तर्क के जवाब में मैं यह स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि शाकाहार भोजन में वनस्पति को कष्ट होता है यह बात सही है पर मांसाहार भोजन में जंतु की हत्या होती है। और आपको यह समझना चाहिए कि जो भी पेड़-पौधे होते हैं वह फल अपने लिए नहीं उपजाते हैं बल्कि वह फल मनुष्य व अन्य पशु के भोजन के लिए ही होता है। पर कोई भी जंतु अपनी संतान का उत्पादन मनुष्य के भोजन के लिए नहीं करता है। जिस प्रकार आपको अपने संतान या अपने प्राणों से प्रेम रहता है उसी प्रकार उस जंतु को भी अपने प्राणों व अपनी संतान से प्रेम रहता है जिसे मारकर हम खाते हैं। जहाँ तक रही फल की बात तो पेड़ तो फल का उत्पादन मनुष्य व अन्य पशु के लिए ही करता है। आप फल को आसानी से तोड़कर खा सकते हैं, पेड़ कोई आपत्ति नहीं करेगा। यदि आप उस फल को न तोडें तो कुछ दिनों के बाद पेड़ खुद उस फल को छोड़ देता है क्योंकि पेड़ ने फल अपने लिए उत्पादित नहीं किए थे।
मांसाहार के पक्ष में कितने लोगों का तर्क रहता है कि यह प्रकृति का नियम है कि एक जीव दूसरे जीव का भोजन करते हैं, यदि मांसाहार भोजन बंद कर दिया जाए तो उस शाकाहारी जीव , जिनका मांस खाया जाया जाता है, की संख्या काफी बढ़ जाएगी और वे हमारी फसल नष्ट कर देंगे। इस तर्क के संदर्भ में मैं कहना चाहता हूँ कि विवेकशील मनुष्य के द्वारा यह तर्क देना शोभा नहीं देता है। उन्हें यह जानना चाहिए कि प्रकृति के द्वारा नियम में जो आहार-श्रृंखला है उसमें यह कहीं नहीं है कि मनुष्य वनस्पति के अलावे दूसरे जीव को खाएगा। हाँ, अन्य जंगली जीवों के साथ ऐसा है कि मांसाहारी जीव शाकाहारी जीव को खाते हैं, पर मनुष्य के साथ प्रकृति का यह नियम नहीं है। रही यह बात कि यदि हम मांसाहार भोजन न करें तो शाकाहारी जीवों कि संख्या बढ़ जाएगी और वी हमारी फसल नष्ट कर देंगे तो इस संदर्भ में बुद्धिमान मनुष्य को यह समझना चाहिए कि वह शाकाहारी जीव जिनका हम भोजन करते हैं वे पहले वास्तव में जंगल में ही रहते थे पर हम मनुष्य ही उसे जंगल से हटाकर अपने साथ बस्ती में ले आए। ........... फिर हम उन्हें पालकर उनकी संख्या वृद्धि में तो खुद हम ही सहायक बन रहे हैं तब फिर यह कहना किसी भी अर्थ में उचित नहीं है कि यदि नहीं खाएंगे तो उनकी संख्या बढ़ जाएगी। ...........
मनुष्य सर्वाधिक श्रेष्ठ व सर्वाधिक बुद्धिमान व विवेकशील प्राणी है और इस कारण मनुष्य को अन्य जीवो का भक्षक बनना मनुष्य जाति के लिए शर्म व कलंक की बात है।
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मंथन : विजया दशमी और मांसाहार भोजन
मांसाहार भोजन : उचित या अनुचित
वह बकरा ने आपको क्या किया था?
http://groups.google.co.in/group/hindibhasha/browse_thread/thread/dde9e2ce361496a0
8 comments:
मुझे आपका तर्क अच्छा लगा।
बचपन में मैं शाकाहारी इसलिए था कि मेरे माँ-बाप शाकाहारी थे।
आज मैं शाकाहारी इस लिए हूँ कि मुझे विश्वास हो गया है की मनुष्य को शाकाहारी ही होना चाहिए।
मनुष्य के दाँतो पर ध्यान दीजिए और माँसाहारी जानवरों के दाँतों से तुलना कीजिए। मेरा विचार है के ईशवर भी यही चाहते हैं के मनुष्य शाकाहारी ही रहे।
इस विषय पर Peter Singer की एक किताब छपी थी जिसमें उन्होंने मनुष्य का शाकाहारी होने के पक्ष में बहुत अच्छे ढंग से तर्क पेश किए हैं।
G विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु
आपकी बात पूरी तरह ठीक होती, अगर मनुष्य केवल फल खाता। लेकिन अधिसंख्यक इंसानों का प्रमुख भोजन फल न होकर गेंहूँ, चावल आदि है। ये सभी फ़सलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं और इनके छोटे-छोटे पौधों को काटा जाता है यानी कि उनकी हत्या की जाती है। इस बारे में आपकी राय जानने को उत्सुक हूँ।
I do not accept any of your arguments.
I am a vegetarian because i was born in a vegetarian family and hence never could develop a taste for non veg food.I did try a number of times though under peer pressure in the college mess.
Your this argument that the natures ecological chain does not say that men would eat animals. I am yet to come across any natural food chain.
You say animals have love for their children.Its a myth. Most of the carnivores animals eat their own offsprings as and when they run short of food.
Swami Vivekanand was a regular NON VEGETARIAN. He used to eat various types of meat.Hitler was a vegetarian.
At least 70% of the world is non vegetarian.They are no worse human beings then the vegetarians.
Aryans were all meat eaters even beef eaters.
The concept of Vegetarianism begun with Buddhism only. Buddhists also prohibhited killing of animals. They had no qualms about eating naturally dead animals.
प्रतीक जी,
जो फल खाते हैं वे फलाहारी कहलाते हैं और जो मांस खाते हैं वे सिर्फ मांसाहारी कहलाते हैं लेकिन शाकाहारी सिर्फ उसे कहते हैं जो मांस-मछली, अंडा नहीं खाते हैं. आपका कहना है कि गेंहूँ-चावल के छोटे पौधे को कटा जाता है और उसको आप हत्या मानते हैं. यह सच है कि गेंहूँ चावल भी हमारे तरह ही एक जिव है और उसे काटने पर दर्द भी होता है लेकिन चावल गेंहूँ प्राप्त करने के लिए छोटे पौधे को नहीं उसके पूर्ण विकास पर काटा जाता है. पौधे के पूर्ण विकास के स्थिति में वह गेंहूँ-चावल जो जिव है वह जनता है कि मैं अब चला जाऊंगा, इसलिए वह अपने रंग बदल करके इशारा करता है कि हे मुझे जीवन देने वाले, मुझे पोषण करने वाले मेरे परमात्मा स्वरुप तुम मुझे अपने शरण में ले लो और आपको जो मर्जी हो वैसा करो. तब किसान जाता है उसे अपनी शरण में लेने के लिए और फिर उसे जो इच्छा होता है सो करता है. इसमें हिंसा कहाँ हुआ?
जो मनुष्य मांसाहारी हैं वे राक्षस से पैदा हैं या खुद राक्षस हैं जो मनुष्य रूप में हमारे सामने कीडों की जिन्दगी जी रहे हैं और अपने पेट को कब्रिस्तान बना रखा है
सुभाष चौहान, नोएडा
जो मनुष्य मांसाहारी हैं वे राक्षस से पैदा हैं या खुद राक्षस हैं जो मनुष्य रूप में हमारे सामने कीडों की जिन्दगी जी रहे हैं और अपने पेट को कब्रिस्तान बना रखा है
सुभाष चौहान, नोएडा
आर्यन vegtarian था । tumhara dimaag Google wala hai . Ved mahabharat teko samajh ni aayega
आर्यन vegtarian था । tumhara dimaag Google wala hai . Ved mahabharat teko samajh ni aayega
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