आज हम बहुत ही गर्व के साथ कहते हैं कि मनुष्य इस पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान व विवेकशील प्राणी है। पर जरा सोचें कि एक बेकसूर जीवों को मरना व कष्ट देना क्या यही हमारी बुद्धिमत्ता है? ........ जरा सोचें कि हम अपने प्राणों से या अपने बच्चों से कितना प्यार करते हैं, क्या इसी प्रकार हमें दूसरे जीवों के लिए नहीं सोचना चाहिए? जिन जीवों को हम मारकर भोजन करते हैं उनमें भी उसी प्रकार आत्मा है जैसे मुझमें व आपमें है तथा उसे भी उसी प्रकार कष्ट होता है जैसे मुझे व आपको होता है। सोचें को आपको जब थोडा कष्ट होता है तो आपको कैसा लगता है ...........? उसी प्रकार सब जीवों को कष्ट होता है? ........ सोचें कि यदि आप बेकसूर हों और आपको कोई कष्ट देगा तो आपको कैसा लगेगा? ........ उसी प्रकार उस जीव के लिए भी सोचें जिसे मारकर हम खाते हैं? ............ इस पृथ्वी पर के सबसे अधिक बुद्धिमान व विवेकशील प्राणी मनुष्य के लिए यह शर्म की बात है कि वह सिर्फ अपने पेट व जिह्वा स्वाद के लिए बेकसूर जीवों को मारकर उसका मांस का भोजन करे। .......... ऐसी स्थिति में मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान व विवेकशील प्राणी कहना 'बुद्धिमत्ता' व 'विवेकशीलता' शब्द का अपमान करना है। और ऐसी स्थिति में मनुष्य को सर्वाधिक बुद्धिमान व विवेकशील प्राणी न कहकर मनुष्य को पशु से भी बदतर कहना अनुचित नहीं होगा। (क्यों?)
------------------
मांसाहार भोजन : उचित या अनुचित
http://groups.google.co.in/group/hindibhasha/browse_thread/thread/dde9e2ce361496a0
5 comments:
मेरे हिसाब से विजय दशमी क्यों किसी भी दिन मांसाहार खाना अनुचित है। और सिर्फ़ स्वाद के लिए ही नहीं आखेट के लिए भी जानवर की हत्या जघंन्य अपराध है।
I AGREE WITH ANITAKUMAR & I ALSO SUPPORT VOICELESS ANIMALS & VEGE.FODD
I AGREE WITH ANITAKUMAR & I ALSO SUPPORT VOICELESS ANIMALS & VEGE.FODD
I AGREE WITH ANITAKUMAR & I ALSO SUPPORT VOICELESS ANIMALS & VEGE.FODD
जिस जीव को पांचों ज्ञानेन्द्रियों द्वारा जाना जा सकता है । उस जीव की हत्या न्याय एवं नीति की दृष्टि से अनुचित है । जिस जीव की हत्या का न्याय और नीति को स्थापित करने एवं आत्मरक्षा से कोई संबंध नहीं है । इसलिए अन्याय एवं अनीति पर आधारित जीव हत्या धर्म नहीं हो सकती । जो कर्म धर्म के विरुद्ध हो, वह अधर्म है । धर्म तो अन्तिम समय तक क्षमा करने का गुण रखता है । जितना बड़ा पाप, उतना बड़ा प्रायश्चित ।
Post a Comment