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Justice For Mahesh Kumar Verma

Friday, December 21, 2007

आज का संसार

न्याय मांगने पर जहाँ होता है प्रहार
छीन लेता है मुख का आहार
पीड़ित के साथ होता है दुराचार
यही तो है आज का संसार

2 comments:

Dr Mandhata Singh said...

महेशजी बहुत अच्छा लिखते हैं। अधिकतर कविताएं दिल को छू लेने वाली हैं।

समय चक्र said...

बहुत बढ़िया सराहनीय

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