गर तू ना होती
गर तू ना होती तो कौन मेरे पास होता
गर तू ना होती तो कौन मेरे साथ होता
गर तू ना होती तो कौन मेरा अपना होता
गर तू ना होती तो सारा जहाँ सपना होता
गर तू ना होती तो जीवन नहीं ये पूरा होता
गर तू ना होती तो जीवन ये अधुरा होता
गर तू ना होती तो नहीं ये जीवन होता
गर तू ना होती तो नहीं ये गज़ल होता
कहना है बस एक बार तू मान जा
मान जा मेरे दिल को बहला जा
मान जा जीने का राह दिखा जा
मान जा मेरे जीवन को सँवार जा
गर तू ना होती तो नहीं ये जीवन होता
गर तू ना होती तो नहीं ये गज़ल होता
रचयिता : महेश कुमार वर्मा
5 comments:
क्या बात है!!
बहोत खूब लिखा है आपने...
वैसे ग़ज़ल स्त्रीलिंग है ...
बहुत सुंदर है आप की यह गजल.
धन्यवाद
ghajal ki kya bat kahen janab.
aapne to likha hai beshak lajawab.
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