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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Friday, August 31, 2012

प्यार की परीक्षा

प्यार की परीक्षा


मेरे प्यार को तुने पैरों तले रौंद दिया
पर तेरे पग धुरी को भी मैं प्रसाद के तरह स्वीकार किया
किस तरह लोगे मेरे प्यार की परिक्षा
भूखे रखकर, अग्नि में जलाकर या जहर पीलाकर
चाहे जिस तरह ले लो मेरे प्यार की परीक्षा
पर तुम्हें चाहा है तुम्हें ही चाहेंगे
तड़पाओगे तो तड़ते रहेंगे 
रुलाओगे तो रोते रहेंगे 
भूखे रखोगे तो भूखे ही रहेंगे 
पर तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे 
क्योंकि किया हूँ मैं तुमसे प्यार 
किया हूँ मैं तुमसे प्यार 


-- महेश कुमार वर्मा 

Wednesday, August 15, 2012

स्वैच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं?

स्वैच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं?

मित्रों, आज हम स्वतंत्रता के 65वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।  देश की स्थिति को देखते हुए इस मौके पर मुझे तो बहुत कुछ कहने की ईच्छा होती है पर क्या करूँ हमारे देश में व्यवस्था ऐसी हो गयी है कि बोलने का भी अधिकार नहीं रह गया है।   आप खुद देखें कि हरेक जगह यह आलम है कि लोग निर्बल को दबा रहे हैं और पीड़ीत असहाय होने के कारण चुप रहता है और यदि वह अपने साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाता है तो उसके साथ और भी कष्ट व शोषण होने लगता है तथा उसे न्याय भी नहीं मिलाता है।  पीड़ीत न्याय के लिए कोर्ट व सरकारी दफ्तर का चक्कर लगा कर थक जाता है और उसे न्याय नहीं मिलती है।  ऐसी स्थिति में कभी-कभी तो पीड़ीत मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित होता है कि वह आत्महत्या तक कर बैठता है।  वैसे आत्महत्या सही नहीं है।  पर कोई भी यों ही शौक से आत्महत्या नहीं करता है बल्कि यदि कोई आत्महत्या करता है तो उसके आत्महत्या का कारण कोई और ही होता है।  आत्महत्या करने वाले के पास जब कोई चारा नहीं बचता है तब ही वह ऐसा कदम उठाता है।  आखिर वह करे भी क्या?  उसे तो कुछ बोलने का भी अधिकार नहीं रह जाता है उसे न्याय पाने का भी अधिकार नहीं रह जाता है तो वह पीड़ीत करेगा भी क्या?  जब उसके ऊपर हो रहे अन्याय से उसका जीना ही मुश्किल हो जाए व अन्याय उसे जीने में ही बाधा पहुंचाए तो वह आत्महत्या नहीं तो और क्या करेगा?
कभी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई थी की जब सरकार वेश्याप्रथा व देहव्यापार को बंद नहीं कर सकती है तो इसे अनुमति ही क्यों नहीं दे देती है?  सुप्रीम कोर्ट का यह फटकार सही था।  उसी तरह मैं सरकार व कानून व्यवस्था से पूछना चाहता हूँ कि जब सरकार पीड़ीत को न्याय नहीं दिला  सकती है तो फिर उसे खुद लड़-झगड़ कर अपना फैसला करने का अधिकार क्यों नहीं दे देती है या फिर अन्याय से जब उसे जीना मुश्किल हो रहा हो तो उसे स्वेच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं दे देती है?  मेरी यह बात लोगों को ख़राब लग सकता है पर यह बात सही है कि कई लोगों की आज स्थिति ऐसी ही है। 

-- महेश कुमार वर्मा 

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Saturday, August 11, 2012

गलत व झूठ का सर्वाधिक प्रयोग न्यायालय में

गलत व झूठ का सर्वाधिक प्रयोग न्यायालय में


जी हाँ, न्यायालय, जिसकी व्यवस्था की गयी है न्याय पाने के लिए, पर दुःख की बात है कि इसी न्यायालय में गलत व झूठ का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है.  और बिना जाँच किए फैसला भी किया जाता है.  और इस कारण कई बार बेकसुर को भी सजा मिल जाती है तो कई बार दोषी को उचित सजा नहीं मिलती है.  ................  केस की अधिकांश कहानी तो मनगढ़ंत ही रहती है.  ............... जैसे किसी व्यक्ति को किसी से किसी बात का बदला लेना है तो उसे फँसाने के लिए वह व्यक्ति उसके खिलाफ झूठा क्रिमिनल केस कर देता है जिसमें वह मारपीट का या कोई अन्य आरोप लगा देता है.  .................  ऐसा झूठा केस तैयार करते समय वे लोग अपने वकील से इस बात पर भी विचार करते हैं कि घटना का स्थान क्या दें जैसे कि क्या दें कि मारपीट घर पर हुआ या खेत में या दुकान पर .....................  अब जब वास्तव में मारपीट हुआ ही नहीं और झूठा ही केस करके फँसाना है तो सोचना पड़ता है कि घटना का स्थान क्या दें ................  निश्चित है कि ऐसी स्थिति में मुदालय यदि अपने को निर्दोष साबित नहीं कर पाता है तो उसे सजा भुगतना ही पड़ेगा.

कई बार तो लोग अपने बचाव के लिए या गलत कार्य करने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं और हमारी अंधी कानून व्यवस्था बिना जाँच किये कार्रवाई पूरी कर देती है और फिर लोग उसी कार्रवाई के आड़ में गलत कार्य कर लेते हैं.  .............  ऐसा ही एक उदाहरण है – एक नबालिग लड़की अपने प्रेमी के साथ भागकर शादी कर ली.  वह दोनों तो घर से भागे हुए थे.  इधर लड़की के घरवालों ने उस लड़का पर लड़की भगाने का या अपहरण का केस कर दिया.  कोर्ट की कार्रवाही प्रारंभ हुयी.  ....................  लड़का गिरफ्तार नहीं हो सका तब कुर्की जब्ती का आदेश हुआ.  .................. अब लड़का-लड़की दोनों चाहते हैं कि कुर्की जब्ती भी नहीं हो और हमदोनों का शादी बना हुआ ही रहे.  ............  इस संबंध सहायता के लिए लड़का-लड़की दोनों एक वकील के पास पहुँचते हैं.  वकील मामला जानने के बाद उसे कहते हैं कि ऐसे नहीं होगा पहले माँग का सिंदूर धोओ और साड़ी उतारकर सलवार-समीज पहनो ...........  इसपर लड़का-लड़की दोनों आपत्ति करते हुए कहते हैं कि हमलोग तो शादी कर चुके हैं ..............  तब वकीत साहब उन्हें बताते हैं कि शादी निश्चिंत से करना पहले सिंदूर धोओ और सलवार-समीज पहनो. ..................  इस प्रकार वह वकील उस लड़की का सिंदूर धुलवा दिए और साड़ी हटवाकर सलवार-समीज पहनवा दिए.  ................ अब वकील उस लड़की को DSP के पास ले जाकर ब्यान दिलवा दिए कि मुझे मेरे पिताजी बेचना चाहते थे तो मैं भागकर ननिहाल चली गयी थी और वहीं थी.  मुझे मालुम हुआ कि लोग उस पर (उस लड़का पर) केस कर दिए हैं इसलिए हम आए हैं जबकि मैं उसके साथ नहीं थी, मुझे उससे भेंट भी नहीं हुयी है.  ............... रहेगी कहाँ? इसपर लड़की कही कि रहेंगे तो पिताजी के पास ही.  ..................................  DSP के पास इस प्रकार का ब्यान लड़की से दिलवा दिया गया फिर वकील साहब उस लड़की को Court लाकर Court में भी वही ब्यान दिलवा दिए.  ............. Court लड़की के पिताजी पर लड़की बेचने के सोच का आरोप का जाँच किए बिना लड़की को उसके पिताजी को सौंप दी तथा उनसे यह बात लिखवाकर receiving ले ली कि लड़की को ले जा रहे हैं, इसे सही ढंग से रखेंगे तथा जब भी अदालत माँग करेगी इसे अदालत में पेश करेंगे..........................

इस प्रकार अपने पिताजी पर बेचने की सोच का आरोप लगाकर भी अपनी ईच्छा से लड़की अपने पिताजी के पास चली गयी.  और उसके पिताजी उसे सही ढंग से रखने व जरूरत पड़ने पर अदालत में पेश करने की बात पर ले गए.  .................  और इसके बाद उस लड़का पर का केस भी समाप्त हो गया.  ........... पर लड़की नबालिग ठीक तो क्या उसका तो उद्देश्य अपने प्रेमी के साथ शादी करके रहने का था और इसी उद्देश्य के लिए हे तो वकील उसके पिता पर लड़की के मुख से ही बेचने की सोच का आरोप लगवा दिए थे .....................  लड़की कुछ दिन पिताजी के पास रही और फिर घर से और भी पैसे वगैरह लेकर फिर अपने उसी प्रेमी के साथ भाग गयी.  ........................  बस, लड़की का काम हो गया.  .........................  अब लड़की के पिताजी पुनः न तो थाना जा सकते थे न तो कोर्ट ही जा सकते थे क्योंकि लड़की पहले से उनपर बेचने की सोच का आरोप लगा चुकी है और उसके पिताजी कोर्ट में यह लिखकर दे चुके हैं कि हम इसे ले जा रहे हैं और सही ढंग से रखेंगे तथा अदालत जब माँग करेगी तब इसे अदालत में पेश करेंगे ..............................  बेचारा लड़की के पिताजी फँस गये.  अब यदि वे Court या थाना जाते हैं तो उनपर ही गाज जिरेगी कि वे सही से लड़की को नहीं रखे.  .........................

तो इस प्रकार झूठ का सहारा लेकर लड़का के कुर्की जब्ती को रोक भी दिया गया और नबालिग लड़की अपने उसी प्रेमी लड़का के साथ भी हो गयी और फँक गए बेचारे लड़की के पिताजी और उसे लड़की मिली भी तो फिर भाग ही गयी.  .......................  यहाँ, हमारी अँधी कानून व्यवस्था के कारण ही झूठ का सहारा लेकर नबालिग लड़की अपने प्रेमी के साथ दुबारा भागने में सफल रही. ..................  यदि हमारा कानून व्यवस्था लड़की द्वारा पिताजी पर बेचने की सोच की आरोप का जाँच करता तथा जाँच करता कि लड़की वास्तव में कहाँ थी तो शायद उसे दुबारा भागने से बचाया जा सकता था.  ..................

वास्तव में हमारी कानून व्यवस्था अंधी ही है.

न्यायालय में आँख पर पट्टी बाँधे हाथ में तराजू लिए महिला का मूर्ति / चित्र इस बात का प्रतीक माना जाता है कि यहाँ पक्षपात नहीं होता है बल्कि उचित न्याय होता है.  पर आज के स्थिति में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह मूर्ति इस बात का प्रतीक है कि मैं (न्यायालय) अंधा हूँ, यहाँ हम कुछ नहीं देखते हैं बल्कि जैसा कहा जाता है उसे ही सही मान लेते हैं और उसी अनुसार सही-गलत देखे बिना ही फैसला करते हैं क्योंकि मेरे आँख पर पट्टी है, मैं नहीं देख सकता हूँ तथा मैं अंधा हूँ.

-- महेश कुमार वर्मा

Thursday, August 2, 2012

वाहन का 99% Insurance Claim फर्जी


वाहन का 99% Insurance Claim फर्जी

कुछ दिन मुझे New India Automobiles, Khajpura, Baily Road, Patna में कार्य करने का अवसर मिला है.  यह 4-wheeler का service centre (workshop) है.  यहाँ मैं जो देखा उसमें पाया कि वाहन का अधिकांश Insurance Claim फर्जी ही रहता है.  मैं जैसा देखा उस अनुसार मैं समझता हूँ कि हरेक जगह ऐसी ही स्थिति होगी और मेरे अंदाज से इस तरह का फर्जी Insurance Claim 99% या इससे भी अधिक रहती होगी.  कैसे?  इसे समझने के लिए इस बात पर ध्यान दें कि कोई भी 4-wheeler servicing के लिए workshop में आता है तो उसमें जैसी खराबी रहती है या जो भी parts टूटा या damage रहता है तो उसमें देखा जाता है कि इसमें से Insurance Claim से किस parts का पैसा मिल जाएगा.  तब फिर उसी अनुसार घटना की एक काल्पनिक कहानी बनाकर Insurance Claim किया जाता है.  जैसे - यदि गाड़ी का पिछला बम्फर थोड़ा damage है और party उसे change करवाना चाहता है तो Insurance Company के पास claim किया जाता है और घटना का विवरण दिया जाता है कि गाड़ी चल रही थी अचानक आगे कुत्ता आ गया तो break लगाया तब पीछे से दूसरा गाड़ी मार दिया जिससे बम्फर टूट गया.  .............  इस प्रकार के claim में यदि वास्तव में बम्फर टूटा हुआ नहीं है तो जानबुझकर workshop में उसे तोड़ा जाता है तब claim दिया जाता है ताकि Insurance Company वाला आकर फोटो खींचे तो फोटो में टूटा हुआ दिखाई पड़े.  ................  तो अधिकांश claim इसी तरह का फर्जी ही रहता है और लोग Insurance Company को ठगकर उससे पैसा ले लेते हैं.  इस तरह के claim में घटना की तिथि भी गलत ही दी जाती है.  सामान्यतः जिस दिन claim किया जाता है उसी दिन या एक दिन पहले का घटना दिखाया जाता है.  ...................  जैसा कि मैं बताया आप यह समझ ही गये होंगे कि वास्तव में घटना घटती नहीं है बल्कि झूठी काल्पनिक कहानी के आधार पर ही claim किया जाता है.  और यदि आप बताए गए स्थान पर या Police / Traffic Police के पास जाँच करेंगे तो इस प्रकार का कोई घटना की जानकारी नहीं मिलेगी.  ..............  इस प्रकार झूठा claim करके लोग Insurance Company को हजारों रुपये का नुकसान पहूँचाते हैं व Insurance Company spot (घटना स्थल) पर जाँच किए बगैर ही claim का पैसा भी दे देती है.  हद तो तब हो जाती है जब Insurance Company वैसी claim को भी पास कर देती है जिसपर संबंधित व्यक्ति के हस्ताक्षर में अंतर रहता है या कोई अन्य व्यक्ति ही उनके स्थान पर हस्ताक्षर कर देता है.  ........ ऐसा ही एक उदाहरण है – October 2011 में New India Automobiles, Khazpura, Baily Road, Patna के मार्फत Sanjay Kumar, Kankarbagh, Patna द्वारा Future Generaly नामक Insurance Company से लिया गया claim का पैसा .............. इसमें claim में Sanjay Kumar हस्ताक्षर नहीं किये हैं बल्कि उनके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति से हस्ताक्षर करवाकर process पूरा करवाया गया.  ...........  सोचिए गलत व्यक्ति के हस्ताक्षर से claim कैसे पास हो गया? ..............
इस प्रकार गलत कहानी के आधार पर फर्जी claim देकर लोग Insurance Company से पैसा ले लेते हैं.  और कभी-कभी वास्तविक claim को भी Insurance Company पास नहीं करती है.  इसी प्रकार का एक उदाहरण है – एक व्यक्ति का गाड़ी खड्ड में गिर गया जिससे उसके गाड़ी का बायाँ भाग damage हुआ ....... वह संबंधित Insurance Company में Insurance Claim किया.  ..............  Insurance Company के व्यक्ति सर्वे करने आए पर यह कहकर claim पास नहीं किया गया कि बायाँ भाग damage का claim पास नहीं होगा.  ........  अब आप खुद सोचें कि यह कैसी बिडम्बना है कि वास्तव में उसके साथ accident हुआ है और गाड़ी damage हुआ है तो उसका claim पास नहीं हुआ और जब लोग झूठी कहानी बनाकर या जानबुझकर गाड़ी damage करके झूठी कहानी बनाकर claim करते हैं तो उसका claim पास हो जाता है व उसे claim का पैसा भी मिल जाता है.  .................
सोचिए कि क्या इस प्रकार की स्थिति में हमारा देश तरक्की कर पाएगा?  ....................

-- महेश कुमार वर्मा

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