इस साईट को अपने पसंद के लिपि में देखें

Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Sunday, December 30, 2012

महिला हूँ तो क्या हुआ

 महिला हूँ तो क्या हुआ



महिला हूँ तो क्या हुआ
मैं भी मानव हूँ
 मुझमें भी दिल व दिमाग है
मुझमें भी साहस व शक्ति है
 अब तक सहती रही
बहुत सही अत्याचार
 पर अब न सहूंगी
 अब न सहूंगी



-- महेश कुमार वर्मा 

मुझे जन्म ही लेने क्यों दिया


 मुझे जन्म ही लेने क्यों दिया



आज उस समय मेरे आँखों में आंसू आ गए जब मैंने देखा की लडकियां असुरक्षा के कारण खुद को गर्भ में ही मार देने की बात उठाई। जी हाँ, 16.12.2012 के दिल्ली के सामूहिक दुष्कर्म और फिर पीड़िता की मौत को लेकर पटना के कारगिल चौक पर लोग शोक में मौन रखे। साथ ही न्याय के लिए नारा लगा रहे थे जिसमें लड़के-लड़कियों के हाथ में विभिन्न नारा लिखे पोस्टर थे जिसमें एक पर लिखा था - "KILL ME IN THE WOMB IF YOU CAN'T PROTECT".

बिडंबना है कि एक और लोग कन्या भ्रूण हत्या रोकने की बात करते हैं वहीं दूसरी और असुरक्षा के कारण लडकियां यह कहने को मजबूर है कि यदि उनकी सुरक्षा नहीं हो सकती है तो उसे गर्भ में ही मार दिया जाए। सोचें, उनका कहना भी सही है। हमें बदलाव लाना होगा। लड़की व महिला को सुरक्षा देना होगा। मानते हैं कि बलात्कार जैसी घटना बलात्कारी के गलत मानसिकता का प्रभाव है पर ऐसी घटना रुकने का नाम नहीं ले रही है तो ऐसे में लड़कियां यह सवाल उठाएगी ही कि क्या उसकी यही गलती है कि वह लड़की है? यदि उसकी यही गलती है और इस कारण उसे सुरक्षा नहीं मिलेगा तो उसे जन्म ही क्यों लेने दिया गया?

हमें हरेक परिस्थिति पर विचारना होगा। यह बात भी सही है कि हमारे समाज में जो बाल-विवाह हो रहे हैं उसके कारण में अन्य कारणों के अलावा एक कारण यह भी है कि सयानी कुवांरी लड़की सुरक्षित नहीं है और इसी कारण माँ-बाप जल्द ही शादी कर उसे ससुराल भेज देना चाहते हैं।

-- महेश कुमार वर्मा

Saturday, November 24, 2012

महिलाओं को उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग जानने का अधिकार मिलना चाहिए

 महिलाओं को उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग जानने का अधिकार मिलना चाहिए

आज लोग सूचना का अधिकार व जानकारी प्राप्त करने का अधिकार को बढावा दे रहे हैं। बात भी सही है लोगों को यह अधिकार मिलना चाहिए। सभी लोग इस बात से सहमत होंगे कि हमें अपने देश के बारे में, अपने समाज के बारे में, अपने परिवार के बारे में तथा अपने व अपने शरीर के बारे में भी जानने का अधिकार मिलना चाहिए। जब हमें यह सब अधिकार मिलना चाहिए तोगर्भवती स्त्री को उसके गर्भ मेँ पल रहे भ्रूण का लिंग जानने का अधिकार क्यों नहीं मिलना चाहिए? भ्रूण हत्या के डर से महिला को इस अधिकार से वंचित किया गया है जो किसी भी अर्थ में उचित नहीं है। आप भ्रूण हत्या को रोकें, भ्रूण हत्या में लिप्त लोगों को कठोर सजा दें यह सही है। पर आज के विकसित वैज्ञानिक युग में महिलाओं को उसके कोख मेँ पल रहे भ्रूण का लिंग जानने के अधिकार से वंचित करना विज्ञान के प्रगति के लिएकलंक ही है। मैं नर व मादा दोनों प्रकार के भ्रूण हत्या का विरोध करता हूँ पर महिलाओं को उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग जानने के अधिकार के पक्ष में जोरदार बहस करता हूँ।

--महेश कुमार वर्मा 

Tuesday, November 13, 2012

मैं खुश रहूँ या न रहूँ, आप सब खुश रहें

मैं खुश रहूँ या न रहूँ, आप सब खुश रहें

आज दिवाली का दिन है। लोग खुशियाँ मना रहे हैं। पर मुझमें कोई ख़ुशी नहीं है। वैसे मेरी ख़ुशी तो कब ही मुझसे दूर हो गयी है ............................. पर ..................... आज जैसा लग रहा है कि मैं सारा चीज खो गया हूँ   .................. पर किसे कहूँ मैं अपनी बात ........................ कोई तो नहीं रहा अपना .....................

खैर, छोड़िये इन बातों को मैं खुश रहूँ या न रहूँ, आप सब खुश रहें।
सबों को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें।

-- महेश

Wednesday, October 31, 2012

इंदिरा गांधी को गोली क्यों मारी गयी

इंदिरा गांधी को गोली क्यों मारी गयी

आज ३१ अक्टूबर है. २८ वर्ष पहले आज ही के दिन तात्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को आतंकी ने गोली मारकर मार डाला था. मेरे जीवन में भी वह दिन बहुत ही महवपूर्ण था क्योंकि उस दिन मैं दिन-रात रोते रहा था पर मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं मिला था कि इंदिरा गांधी को गोली क्यों मारी गयी...... उस समय मैं ७ वर्ष का था.  विस्तृत यहाँ देखें..............

मैं व इंदिरा गाँधी

http://mahesh-kee-aatmkatha.blogspot.in/2011/02/blog-post.html




Monday, October 22, 2012

दुर्गा पूजा : जरा इधर भी ध्यान दें


दुर्गा पूजा : जरा इधर भी ध्यान दें


सबों को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं। दशहरा के पर्व को अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतिक माना गया है। इस पर्व में लोग शक्ति की देवी दुर्गा की आराधना करते हैं तथा खुशियाँ मनाते हैं व कई प्रकार से खर्च करते हैं। पर जरा सोचें हमारे समाज व परिवेश में ऐसे कितने लोग हैं जिन्हें भोजन तक की उचित व्यवस्था नहीं है और इनमें से कई ऐसे हैं जो अपने पेट भरने के लिए अपराध या कुकर्म को अपना रहे हैं। सोचें कि इस स्थिति के लिए जिम्मेवार कौन है? निःसंदेह इस स्थिति के लिए जिम्मेवार हमारी समाज, परिवेश व सरकार के भ्रष्ट नीति है। हमें इस पर सोचना चाहिए व इस स्थिति को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।

-- महेश कुमार वर्मा 

Sunday, September 9, 2012

मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद

 मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद


मेरा कष्ट बढ़ाकर तुमको आता है आनंद 
मुझे छटपटाता देखकर तेरा पुलकित होता मन 
दिल तड़पाकर क्या चाहते हो 
दिल दुखाकर क्या चाहते हो  
मुझको रुलाकर क्या चाहते हो 
क्या चाहते हो 
क्या चाहते हो 
खुलके बोलो स्पष्ट बोलो 
चुप क्यों हो मुँह तो खोलो 
क्या चाहिए कह भी दो ना 
जो भी चाहिए स्पष्ट बोलो 
मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद 
मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद 


-- महेश कुमार वर्मा 

Friday, August 31, 2012

प्यार की परीक्षा

प्यार की परीक्षा


मेरे प्यार को तुने पैरों तले रौंद दिया
पर तेरे पग धुरी को भी मैं प्रसाद के तरह स्वीकार किया
किस तरह लोगे मेरे प्यार की परिक्षा
भूखे रखकर, अग्नि में जलाकर या जहर पीलाकर
चाहे जिस तरह ले लो मेरे प्यार की परीक्षा
पर तुम्हें चाहा है तुम्हें ही चाहेंगे
तड़पाओगे तो तड़ते रहेंगे 
रुलाओगे तो रोते रहेंगे 
भूखे रखोगे तो भूखे ही रहेंगे 
पर तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे 
क्योंकि किया हूँ मैं तुमसे प्यार 
किया हूँ मैं तुमसे प्यार 


-- महेश कुमार वर्मा 

Wednesday, August 15, 2012

स्वैच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं?

स्वैच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं?

मित्रों, आज हम स्वतंत्रता के 65वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।  देश की स्थिति को देखते हुए इस मौके पर मुझे तो बहुत कुछ कहने की ईच्छा होती है पर क्या करूँ हमारे देश में व्यवस्था ऐसी हो गयी है कि बोलने का भी अधिकार नहीं रह गया है।   आप खुद देखें कि हरेक जगह यह आलम है कि लोग निर्बल को दबा रहे हैं और पीड़ीत असहाय होने के कारण चुप रहता है और यदि वह अपने साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाता है तो उसके साथ और भी कष्ट व शोषण होने लगता है तथा उसे न्याय भी नहीं मिलाता है।  पीड़ीत न्याय के लिए कोर्ट व सरकारी दफ्तर का चक्कर लगा कर थक जाता है और उसे न्याय नहीं मिलती है।  ऐसी स्थिति में कभी-कभी तो पीड़ीत मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित होता है कि वह आत्महत्या तक कर बैठता है।  वैसे आत्महत्या सही नहीं है।  पर कोई भी यों ही शौक से आत्महत्या नहीं करता है बल्कि यदि कोई आत्महत्या करता है तो उसके आत्महत्या का कारण कोई और ही होता है।  आत्महत्या करने वाले के पास जब कोई चारा नहीं बचता है तब ही वह ऐसा कदम उठाता है।  आखिर वह करे भी क्या?  उसे तो कुछ बोलने का भी अधिकार नहीं रह जाता है उसे न्याय पाने का भी अधिकार नहीं रह जाता है तो वह पीड़ीत करेगा भी क्या?  जब उसके ऊपर हो रहे अन्याय से उसका जीना ही मुश्किल हो जाए व अन्याय उसे जीने में ही बाधा पहुंचाए तो वह आत्महत्या नहीं तो और क्या करेगा?
कभी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई थी की जब सरकार वेश्याप्रथा व देहव्यापार को बंद नहीं कर सकती है तो इसे अनुमति ही क्यों नहीं दे देती है?  सुप्रीम कोर्ट का यह फटकार सही था।  उसी तरह मैं सरकार व कानून व्यवस्था से पूछना चाहता हूँ कि जब सरकार पीड़ीत को न्याय नहीं दिला  सकती है तो फिर उसे खुद लड़-झगड़ कर अपना फैसला करने का अधिकार क्यों नहीं दे देती है या फिर अन्याय से जब उसे जीना मुश्किल हो रहा हो तो उसे स्वेच्छिक मृत्यु का अधिकार क्यों नहीं दे देती है?  मेरी यह बात लोगों को ख़राब लग सकता है पर यह बात सही है कि कई लोगों की आज स्थिति ऐसी ही है। 

-- महेश कुमार वर्मा 

-------------------------------------

Saturday, August 11, 2012

गलत व झूठ का सर्वाधिक प्रयोग न्यायालय में

गलत व झूठ का सर्वाधिक प्रयोग न्यायालय में


जी हाँ, न्यायालय, जिसकी व्यवस्था की गयी है न्याय पाने के लिए, पर दुःख की बात है कि इसी न्यायालय में गलत व झूठ का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है.  और बिना जाँच किए फैसला भी किया जाता है.  और इस कारण कई बार बेकसुर को भी सजा मिल जाती है तो कई बार दोषी को उचित सजा नहीं मिलती है.  ................  केस की अधिकांश कहानी तो मनगढ़ंत ही रहती है.  ............... जैसे किसी व्यक्ति को किसी से किसी बात का बदला लेना है तो उसे फँसाने के लिए वह व्यक्ति उसके खिलाफ झूठा क्रिमिनल केस कर देता है जिसमें वह मारपीट का या कोई अन्य आरोप लगा देता है.  .................  ऐसा झूठा केस तैयार करते समय वे लोग अपने वकील से इस बात पर भी विचार करते हैं कि घटना का स्थान क्या दें जैसे कि क्या दें कि मारपीट घर पर हुआ या खेत में या दुकान पर .....................  अब जब वास्तव में मारपीट हुआ ही नहीं और झूठा ही केस करके फँसाना है तो सोचना पड़ता है कि घटना का स्थान क्या दें ................  निश्चित है कि ऐसी स्थिति में मुदालय यदि अपने को निर्दोष साबित नहीं कर पाता है तो उसे सजा भुगतना ही पड़ेगा.

कई बार तो लोग अपने बचाव के लिए या गलत कार्य करने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं और हमारी अंधी कानून व्यवस्था बिना जाँच किये कार्रवाई पूरी कर देती है और फिर लोग उसी कार्रवाई के आड़ में गलत कार्य कर लेते हैं.  .............  ऐसा ही एक उदाहरण है – एक नबालिग लड़की अपने प्रेमी के साथ भागकर शादी कर ली.  वह दोनों तो घर से भागे हुए थे.  इधर लड़की के घरवालों ने उस लड़का पर लड़की भगाने का या अपहरण का केस कर दिया.  कोर्ट की कार्रवाही प्रारंभ हुयी.  ....................  लड़का गिरफ्तार नहीं हो सका तब कुर्की जब्ती का आदेश हुआ.  .................. अब लड़का-लड़की दोनों चाहते हैं कि कुर्की जब्ती भी नहीं हो और हमदोनों का शादी बना हुआ ही रहे.  ............  इस संबंध सहायता के लिए लड़का-लड़की दोनों एक वकील के पास पहुँचते हैं.  वकील मामला जानने के बाद उसे कहते हैं कि ऐसे नहीं होगा पहले माँग का सिंदूर धोओ और साड़ी उतारकर सलवार-समीज पहनो ...........  इसपर लड़का-लड़की दोनों आपत्ति करते हुए कहते हैं कि हमलोग तो शादी कर चुके हैं ..............  तब वकीत साहब उन्हें बताते हैं कि शादी निश्चिंत से करना पहले सिंदूर धोओ और सलवार-समीज पहनो. ..................  इस प्रकार वह वकील उस लड़की का सिंदूर धुलवा दिए और साड़ी हटवाकर सलवार-समीज पहनवा दिए.  ................ अब वकील उस लड़की को DSP के पास ले जाकर ब्यान दिलवा दिए कि मुझे मेरे पिताजी बेचना चाहते थे तो मैं भागकर ननिहाल चली गयी थी और वहीं थी.  मुझे मालुम हुआ कि लोग उस पर (उस लड़का पर) केस कर दिए हैं इसलिए हम आए हैं जबकि मैं उसके साथ नहीं थी, मुझे उससे भेंट भी नहीं हुयी है.  ............... रहेगी कहाँ? इसपर लड़की कही कि रहेंगे तो पिताजी के पास ही.  ..................................  DSP के पास इस प्रकार का ब्यान लड़की से दिलवा दिया गया फिर वकील साहब उस लड़की को Court लाकर Court में भी वही ब्यान दिलवा दिए.  ............. Court लड़की के पिताजी पर लड़की बेचने के सोच का आरोप का जाँच किए बिना लड़की को उसके पिताजी को सौंप दी तथा उनसे यह बात लिखवाकर receiving ले ली कि लड़की को ले जा रहे हैं, इसे सही ढंग से रखेंगे तथा जब भी अदालत माँग करेगी इसे अदालत में पेश करेंगे..........................

इस प्रकार अपने पिताजी पर बेचने की सोच का आरोप लगाकर भी अपनी ईच्छा से लड़की अपने पिताजी के पास चली गयी.  और उसके पिताजी उसे सही ढंग से रखने व जरूरत पड़ने पर अदालत में पेश करने की बात पर ले गए.  .................  और इसके बाद उस लड़का पर का केस भी समाप्त हो गया.  ........... पर लड़की नबालिग ठीक तो क्या उसका तो उद्देश्य अपने प्रेमी के साथ शादी करके रहने का था और इसी उद्देश्य के लिए हे तो वकील उसके पिता पर लड़की के मुख से ही बेचने की सोच का आरोप लगवा दिए थे .....................  लड़की कुछ दिन पिताजी के पास रही और फिर घर से और भी पैसे वगैरह लेकर फिर अपने उसी प्रेमी के साथ भाग गयी.  ........................  बस, लड़की का काम हो गया.  .........................  अब लड़की के पिताजी पुनः न तो थाना जा सकते थे न तो कोर्ट ही जा सकते थे क्योंकि लड़की पहले से उनपर बेचने की सोच का आरोप लगा चुकी है और उसके पिताजी कोर्ट में यह लिखकर दे चुके हैं कि हम इसे ले जा रहे हैं और सही ढंग से रखेंगे तथा अदालत जब माँग करेगी तब इसे अदालत में पेश करेंगे ..............................  बेचारा लड़की के पिताजी फँस गये.  अब यदि वे Court या थाना जाते हैं तो उनपर ही गाज जिरेगी कि वे सही से लड़की को नहीं रखे.  .........................

तो इस प्रकार झूठ का सहारा लेकर लड़का के कुर्की जब्ती को रोक भी दिया गया और नबालिग लड़की अपने उसी प्रेमी लड़का के साथ भी हो गयी और फँक गए बेचारे लड़की के पिताजी और उसे लड़की मिली भी तो फिर भाग ही गयी.  .......................  यहाँ, हमारी अँधी कानून व्यवस्था के कारण ही झूठ का सहारा लेकर नबालिग लड़की अपने प्रेमी के साथ दुबारा भागने में सफल रही. ..................  यदि हमारा कानून व्यवस्था लड़की द्वारा पिताजी पर बेचने की सोच की आरोप का जाँच करता तथा जाँच करता कि लड़की वास्तव में कहाँ थी तो शायद उसे दुबारा भागने से बचाया जा सकता था.  ..................

वास्तव में हमारी कानून व्यवस्था अंधी ही है.

न्यायालय में आँख पर पट्टी बाँधे हाथ में तराजू लिए महिला का मूर्ति / चित्र इस बात का प्रतीक माना जाता है कि यहाँ पक्षपात नहीं होता है बल्कि उचित न्याय होता है.  पर आज के स्थिति में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह मूर्ति इस बात का प्रतीक है कि मैं (न्यायालय) अंधा हूँ, यहाँ हम कुछ नहीं देखते हैं बल्कि जैसा कहा जाता है उसे ही सही मान लेते हैं और उसी अनुसार सही-गलत देखे बिना ही फैसला करते हैं क्योंकि मेरे आँख पर पट्टी है, मैं नहीं देख सकता हूँ तथा मैं अंधा हूँ.

-- महेश कुमार वर्मा

Thursday, August 2, 2012

वाहन का 99% Insurance Claim फर्जी


वाहन का 99% Insurance Claim फर्जी

कुछ दिन मुझे New India Automobiles, Khajpura, Baily Road, Patna में कार्य करने का अवसर मिला है.  यह 4-wheeler का service centre (workshop) है.  यहाँ मैं जो देखा उसमें पाया कि वाहन का अधिकांश Insurance Claim फर्जी ही रहता है.  मैं जैसा देखा उस अनुसार मैं समझता हूँ कि हरेक जगह ऐसी ही स्थिति होगी और मेरे अंदाज से इस तरह का फर्जी Insurance Claim 99% या इससे भी अधिक रहती होगी.  कैसे?  इसे समझने के लिए इस बात पर ध्यान दें कि कोई भी 4-wheeler servicing के लिए workshop में आता है तो उसमें जैसी खराबी रहती है या जो भी parts टूटा या damage रहता है तो उसमें देखा जाता है कि इसमें से Insurance Claim से किस parts का पैसा मिल जाएगा.  तब फिर उसी अनुसार घटना की एक काल्पनिक कहानी बनाकर Insurance Claim किया जाता है.  जैसे - यदि गाड़ी का पिछला बम्फर थोड़ा damage है और party उसे change करवाना चाहता है तो Insurance Company के पास claim किया जाता है और घटना का विवरण दिया जाता है कि गाड़ी चल रही थी अचानक आगे कुत्ता आ गया तो break लगाया तब पीछे से दूसरा गाड़ी मार दिया जिससे बम्फर टूट गया.  .............  इस प्रकार के claim में यदि वास्तव में बम्फर टूटा हुआ नहीं है तो जानबुझकर workshop में उसे तोड़ा जाता है तब claim दिया जाता है ताकि Insurance Company वाला आकर फोटो खींचे तो फोटो में टूटा हुआ दिखाई पड़े.  ................  तो अधिकांश claim इसी तरह का फर्जी ही रहता है और लोग Insurance Company को ठगकर उससे पैसा ले लेते हैं.  इस तरह के claim में घटना की तिथि भी गलत ही दी जाती है.  सामान्यतः जिस दिन claim किया जाता है उसी दिन या एक दिन पहले का घटना दिखाया जाता है.  ...................  जैसा कि मैं बताया आप यह समझ ही गये होंगे कि वास्तव में घटना घटती नहीं है बल्कि झूठी काल्पनिक कहानी के आधार पर ही claim किया जाता है.  और यदि आप बताए गए स्थान पर या Police / Traffic Police के पास जाँच करेंगे तो इस प्रकार का कोई घटना की जानकारी नहीं मिलेगी.  ..............  इस प्रकार झूठा claim करके लोग Insurance Company को हजारों रुपये का नुकसान पहूँचाते हैं व Insurance Company spot (घटना स्थल) पर जाँच किए बगैर ही claim का पैसा भी दे देती है.  हद तो तब हो जाती है जब Insurance Company वैसी claim को भी पास कर देती है जिसपर संबंधित व्यक्ति के हस्ताक्षर में अंतर रहता है या कोई अन्य व्यक्ति ही उनके स्थान पर हस्ताक्षर कर देता है.  ........ ऐसा ही एक उदाहरण है – October 2011 में New India Automobiles, Khazpura, Baily Road, Patna के मार्फत Sanjay Kumar, Kankarbagh, Patna द्वारा Future Generaly नामक Insurance Company से लिया गया claim का पैसा .............. इसमें claim में Sanjay Kumar हस्ताक्षर नहीं किये हैं बल्कि उनके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति से हस्ताक्षर करवाकर process पूरा करवाया गया.  ...........  सोचिए गलत व्यक्ति के हस्ताक्षर से claim कैसे पास हो गया? ..............
इस प्रकार गलत कहानी के आधार पर फर्जी claim देकर लोग Insurance Company से पैसा ले लेते हैं.  और कभी-कभी वास्तविक claim को भी Insurance Company पास नहीं करती है.  इसी प्रकार का एक उदाहरण है – एक व्यक्ति का गाड़ी खड्ड में गिर गया जिससे उसके गाड़ी का बायाँ भाग damage हुआ ....... वह संबंधित Insurance Company में Insurance Claim किया.  ..............  Insurance Company के व्यक्ति सर्वे करने आए पर यह कहकर claim पास नहीं किया गया कि बायाँ भाग damage का claim पास नहीं होगा.  ........  अब आप खुद सोचें कि यह कैसी बिडम्बना है कि वास्तव में उसके साथ accident हुआ है और गाड़ी damage हुआ है तो उसका claim पास नहीं हुआ और जब लोग झूठी कहानी बनाकर या जानबुझकर गाड़ी damage करके झूठी कहानी बनाकर claim करते हैं तो उसका claim पास हो जाता है व उसे claim का पैसा भी मिल जाता है.  .................
सोचिए कि क्या इस प्रकार की स्थिति में हमारा देश तरक्की कर पाएगा?  ....................

-- महेश कुमार वर्मा

Sunday, July 15, 2012

परीक्षा केन्द्र पर गये बिना परीक्षा पास करें


परीक्षा केन्द्र पर गये बिना परीक्षा पास करें

यह सभी जानते हैं कि परीक्षा में कदाचार से विद्यार्थी के शिक्षा का सही आकलन नहीं हो पाता है.  और कदाचार के द्वारा परीक्षा पास कर उच्चतर वर्ग में नामांकन लेने के बाद फिर विद्यार्थी किस प्रकार क्या सीख पाएगा यह आप समझ ही रहे हैं.  वे कभी भी अपने विषय का सही ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकेंगे. पर इतना समझने के बावजूद भी विद्यार्थी व उनके अभिभावक किसी भी तरह से कदाचार से परीक्षा पास करना ही अपना लक्ष्य बना लेते हैं.  और इस कार्य में अभिभावक की अलावा स्कूल, कॉलेज, इंस्टीच्यूट के परीक्षा संचालन के स्टॉफ सहित केन्द्राधीक्षक की भी अहम भूमिका रहती है.  और वे तो अब कदाचार के सीमा को इतना तक पार कर गये हैं कि इसके बाद तो परीक्षा शब्द का मतलब ही नहीं रह जाता है.  ...........  परीक्षा केन्द्र पर गये बिना परीक्षा पास होना, प्रश्न का उत्तर लिखे बिना परीक्षा पास होना .............. ये सब इन्हीं कदाचार के उदाहरण हैं.  ..................  जी हाँ, इस तरह के कदाचार भी जोर-शोर से चल रहा है व संबंधित पदाधिकारी का पॉकेट भी अच्ची तरह से गरम हो रहा है.  और इस तरह की घटनाएँ छोटे परीक्षाओं से लेकर अच्छे-अच्छे विश्वविद्यालय के परीक्षाओं में भी हो रही है.  ................  ऐसा ही एक घटना मैं आपको सुनाना चाहता हूँ जो परीक्षा के इस कदाचार को भी प्रमाणित करती है व कदाचार में सेंटर के डायरेक्टर का साथ नहीं देने पर किस प्रकार वे एक ईमानदार स्टॉफ को कार्य पर नहीं रखते हैं, यह भी स्पष्ट होता है.  तो सुनें वह घटना जो मेरे ही साथ घटी है -
27 जनवरी 2012 की बात है – मेरी मुलाकात मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय (Maulana Mazharul Haque Arbic and Persian University) के अंतर्गत चलने वाले Patliputra Institute of Technology and Management, Patliputra Colony, Patna डायरेक्टर Prof. V. K. Singh (Mob. No.: 9386803802) से हुयी.  मुझसे मिलने के बाद वे मुझसे प्रभावित हुये.  वे मुझे अपने यहाँ कार्य पर रखना चाहे.  मैं भी अच्छा कार्य ढूँढ ही रहा था.  ............  वे मुझसे बातचीत कर मेरा Resume विचारार्थ रख लिए.  कुछ दिनों के बाद वे मुझे बुलाये व Computer पर कार्य करवाकर मेरा Interview लिए व फिर मेरा सारा Certificates का Xerox Copy व एक फोटो जमा करवा लिए.  ......................
इसके बाद वे मुझे रोज बुलाने लगे तथा मेरा कागजात University भेज दिए हैं ............... आज order होगा ............. कल order होगा .......... Registrar अभी बाहर गये हुए हैं, वे आएँगे तब order हो जाएगा ............... आपका selection बेगुसराय सेंटर के लिए confirm है ................. 1 मार्च को joining करना है .............. Registrar बीमार पड़ गए हैं ............. – इस प्रकार की बात वे करने लगे पर वे मुझे रोज आकर मिल लेने के लिए कहते थे.
इसी तरह की बातें कई दिनों तक होती रही.  इसी बीच 17.02.2012 से उस centre पर यानी Patliputra Institute of Technology and Management पर B. Com. की परीक्षा प्रारंभ होने वाली थी.  इस परीक्षा के लिए Director V. K. Singh मुझे एक परीक्षार्थी का परीक्षा का copy लिखने के लिए कहे.  मुझे copy मिलता और मैं उसे अपने घर पर ले जाकर लिखता ............ इस कार्य के लिये वे मुझे पैसे का प्रलोभन भी दिए.  उसी तरह मैं यहाँ भी इस कार्य से इंकार नहीं किया जिस प्रकार मैं RSBY के कार्य में इंकार नहीं किया था. .................  17 तारीख आने पर University के Programme के अनुसार परीक्षा प्रारंभ हो गयी पर उस परीक्षार्थी का copy नहीं लिखा गया.  एक दिन Director V. K. Singh पुनः कह रहे थे कि copy रखा हुआ है, कहो तो दे देते हैं लिख दो ........... पर वे सिर्फ अपना फायदा ही देख रहे थे, वे मुझे पहले पैसा देने के लिए तैयार नहीं हुए और मैं स्पष्ट कह दिया कि पहले payment होगा तब लिखेंगे और इस प्रकार मैं copy लिखने के लिए तैयार नहीं हुआ.  .................  इसपर वे मुझपर गुस्सा गये व बोले कि जब तुमको मुझपर विश्वास ही नहीं है तो फिर मैं क्यों तुमको रखूँगा, जाओ यहाँ से ................ पर फिर बाद में मेरा appointment का order के बारे में पता करने के लिए बोले.  ................  पर अंततः 25 या 26 फरवरी तक यह कार्य नहीं हुआ.  फिर आगे मैं पुछना भी छोड़ दिया.  इसके बाद मैं न तो उनसे मिला न तो फोन ही किया.  .......................
इस घटना से क्या निष्कर्ष निकलता है, आप खुद समझ सकते हैं.  ..................... यह तो स्पष्ट ही है कि मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय के Patliputra Institute of Technology and Management, Patliputra, Patna में परीक्षार्थी को centre पर गए बिना भी परीक्षार्थी का copy लिखा जाता है व परीक्षा के दिन बित जाने की बाद भी copy लिखा जाता है. ............................
अब आप सोच सकते हैं कि जहाँ नितिश सरकार के कार्यकाल में विकास की चर्चा है वहाँ वास्तव में यह राज्य विकास की ओर है या शिक्षा-जगत में इस प्रकार के कदाचार से पतन की ओर है?  ........................  और आप सोचें कि शिक्षा-जगत में इस प्रकार के कदाचार से क्या बिहार या हमारा देश कभी विकास कर पाएगा?

-- महेश कुमार वर्मा


-------------------------------------------
 

Wednesday, April 4, 2012

सूचना का अधिकार

सूचना का अधिकार

मुझे मालुम है कि आप मुझसे नाराज हैं
फिर भी टोकता हूँ आपको 
क्योंकि आप पर ही निर्भर हम आज हैं 
सही समय पर सही जानकारी माँगा तो 
मैं क्या गुनाह किया 
जो आप मुझसे खफा होकर 
मुझे बर्बाद किया 
आपसे बातकर होती है जीने की आशा 
पर आपके चुप्पी पर तो 
जीवन में आती है निराशा
क्या मुझे सही समय पर सही बात जानने का अधिकार नहीं है 
जो तुम मुझे इस अधिकार से वंचित कर रहे हो 
क्यों मुझसे मेरा अधिकार छीन रहे हो 
मुझे सही समय पर सही बात जानने का अधिकार दो 
मुझसे मेरा अधिकार मत छीनो 
व मुझे मेरा अधिकार दो 
मुझे सही समय पर सही बात की जानकारी दो 
मुझे सही समय पर सही बात की जानकारी दो 

-- महेश कुमार वर्मा  
 

Wednesday, March 14, 2012

बिहार पुलिस की स्थिति भिखारी से भी बदतर

जी हाँ, बिहार पुलिस की स्थिति भिखारी से भी बदतर हो चुकी है और यदि सरकार इस ओर ध्यान नहीं देगी तो शायद आने वाले दिनों में ये भूखे पुलिस इतने खूंखार बन सकते हैं की आने वाले दिनों में ये बेकसूर लोगों को मारकर भी अपना पेट भरने से नहीं चुकेंगे.  यह कोई मजाक नहीं बल्कि हमारे ही आसपास के पुलिस के हालात पर कही जा रही है.  हमारे पुलिस इतने भूखे हैं की हर रोज रात में उन्हें अपने पेट भरने के लिए सब्जी मंडी में झोला लेकर दुकानदारों से मांगते देखा जाता है.  इसे भीख माँगना कहा जाए तो गलत नहीं होगा. ............... आखिर वह क्या करे?  पेट का सवाल है.  भगवान ने उन्हें भी पेट दे रखा है.  अतः जिन्दा रहने के लिए उसे अपना पेट भरना भी तो जरुरी है.  सड़क पर कटोरी लेकर भिखारी मांगता है, वह भी तो अपने पेट भरने के लिए ही मांगता है.  पर सड़क के भिखारी से ज्यादा भूखा हमारे थाना पर के पुलिस हैं.  भिखारी तो एक सीमा में रहकर ही भीख मांगता है पर हमारे पुलिस इतने ज्यादा भूखे होते हैं की सब्जी मंडी में दुकानदारों से मांगने के दौरान यदि कभी कोई दुकानदार उसे नहीं देता है तो वह भूखा पुलिस उस दुकानदार को दो-चार बात तो सुनाता ही है और साथ ही जबरन उसका सब्जी उठाकर अपने झोला में रख लेता है. यदि दुकानदार इसपर आपत्ति करता है तो वह भूखा सिपाही (पुलिस) दुकानदार के साथ मारपीट पर उतारू हो जाता है. ........... सड़क पर के भिखारी को यदि कोई कुछ नहीं देता है तो वह कितना भी भूखा क्यों न रहे पर वह एक सीमा में रहकर ही भीख मांगता है तथा न तो कभी जबरन कुछ लेता है तथा न तो मारपीट पर ही उतारू होता है. ......... पर हमारे पुलिस को देखिये.  इन्हें भीख में यदि कोई कुछ नहीं देता है तो ये जबरन ले लेते हैं और मारपीट पर भी उतारू हो जाते हैं. ....... स्पष्ट है की पुलिस की स्थिति भिखारी से भी बदतर हो चुकी है. ....... पुलिस को नाजायज तरीके से सब्जी मंडी में सब्जी वसूलते, ट्रेन में सामान ले जा रहे यात्रियों से पैसा वसूलते व अन्य कई स्थानों पर भी पैसा वसूलते प्रायः देखा जाता है.  .............. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए तथा पुलिस को सही ढंग से खाने-पिने व रहने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उन्हें किसी के सामने भीख न माँगना पड़े. .......
और यदि उनकी स्थिति ऐसी नहीं है की उन्हें माँगना पड़े तब वे क्यों बिना मतलब के लोगों को परेशान करते हैं?

--------------------------------------------------
(वास्तविक हालात पर आधारित)

Wednesday, February 29, 2012

सभी ब्लॉगर बंधुओं को मेरा नमस्कार

सभी ब्लॉगर बंधुओं को मेरा नमस्कार.  दुःख की बात है की कई कारणों से मैं आपलोगों से दूर हो गया हूँ.  पर मैं इसके लिए लाचार हूँ.  मैं पुनः ब्लोगिंग की दुनिया में आना तो चाहता हूँ पर अभी मैं लाचार हूँ और शायद अभी भी इसके लिए लम्बा समय बिताना होगा.  इस बीच मुझे कई सामाजिक विषय / घटना ऐसे मिले जिसपर मैं लिखना तो चाहा और उस तरह के विषय पर मुझे अच्छी तरह लिखने का शौक भी होता है पर मैं लाचार था और नहीं लिख पाया.  .......................  वर्तमान हालत क्या बताऊँ किसी तरह अभी तक जिन्दा हूँ और इसके लिए वे सभी लोग धन्यवाद के पात्र हैं जो मुझे ऐसी विषम परिस्थिति में मेरी सहायता कर मुझे जिन्दा रखा.  पर अभी भी मैं यह नहीं कह सकता हूँ की आगे क्या होगा.  अतः आगे की कोई बात मैं नहीं कह सकता हूँ. 
..................
......................


आपका
महेश

Tuesday, February 28, 2012

सबों को होली पर्व की ढेर सारी शुभकामनायें

सबों को होली पर्व की ढेर सारी शुभकामनायें.

होली आपसी प्रेम व भाईचारा का पर्व है अतः इसे प्रेम-पूर्वक ही मनाएं.  किसी के साथ जोर-जबरदस्ती नहीं करें. नशीली चीजों का प्रयोग न करें व अश्लील हरकत नहीं करें. 
शुभकामनाओं के साथ.

आपका
महेश

चिट्ठाजगत
चिट्ठाजगत www.blogvani.com Hindi Blogs. Com - हिन्दी चिट्ठों की जीवनधारा

यहाँ आप हिन्दी में लिख सकते हैं :