जी हाँ, यह प्रश्न विचारनिए है कि चमड़ा से निर्मित वस्तु का उपयोग कहाँ तक उचित है? इस बात में कोई दो राय नहीं कि चमड़ा निर्मित वस्तु का उपयोग जीव हत्या को बढावा देना है। (क्यों?)
हम चमड़ा निर्मित वस्तु का उपयोग करते हैं आख़िर तब ही तो बाज़ार में इसकी मांग होती है और इसी कारण ही चर्म उद्योग फल-फूल रहा है। तो इस प्रकार हम यदि चर्म-निर्मित वस्तु का सेवन करते हैं तो उस जीव हत्या के लिए हम भी जिम्मेवार बनते हैं जिसके चर्म से वह वस्तु बनती है। (क्यों?)
और इसमें कोई दो राय नहीं कि जीव हत्या एक महापाप है। अतः हमें चर्म-निर्मित वस्तु का सेवन बंद करना चाहिए।
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वह बकरा ने आपको क्या किया था?
मांसाहार भोजन : उचित या अनुचित
शाकाहारी भोजन : शंका समाधान
मंथन : विजया दशमी और मांसाहार भोजन
http://groups.google.co.in/group/hindibhasha/browse_thread/thread/dde9e2ce361496a0
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Justice For Mahesh Kumar Verma
Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....
Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015
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3 comments:
प्रय बंधुवर,
सिर्फ इसलिए चमड़े निर्मित वस्तुओं का उपयोग बंद कर देना चाहिए कि इससे जीव हत्या को बढ़ावा मिलता है। मैं आपके इस विचार से सहमत नहीं हूँ। मृत पशुओं के चमड़े से भी चर्म उत्पाद तैयार होता है, जिसमें जीव हत्या नहीं किया जाता है। दूसरी बात शाकाहारी लोग भ्रम फैलाते हैं कि वे जीव हत्या नहीं करते। सिर्फ आप बकरे में जीव होने की बात स्वीकार करते हैं। पेड़-पौधे भी सजीव हैं। जिसकी हत्या करने से शाकाहारी लोग परहेज नहीं करते। लकड़ी से निर्मित वस्तुाओं का भी उपयोग बंद किजिये, क्योंकि पेड़ सजीव हैं। पेड़ काटने से भी तो जीव हत्या होती है। अनाज खाना बंद कीजिये, क्योंकि अनाज के हर दाने में जीवन की संभावना होती है। हमारे यहाँ एक कहावत है गुल खाए गुलगुले से परहेज। दो जीवों के लिए अलग-अलग मानदंड क्यों ? संतुलन बनाये रखने के लिए भी जीवहत्या जरूरी है। अगर प्रकृति के अनुसार यह सही नहीं होता तो मानव द्वारा इसकी शुरूआत नहीं की जाती। शाकाहारी लोग अंडे खाने से परहेज करते जबकि बछड़े के हिस्से का दूध मजे से पीते हैं। आपको पता तो जरूर होगा कि बड़े-बड़े डेयरी में बछड़े को मार दिया जाता है ताकि गाय से अधिक से अधिक दूध प्राप्त किया जा सके। एक अभियान दुग्ध उत्पाद का सेवन नहीं करने के लिए भी चलाइये। पेड़-पौधे से निर्मित वस्तुओं एवं अनाज का सेवन बंद करने का अभियान चलाईये। इसमें भी जीव हत्या होती है। अगर आपमें ये साहस है एवं वे उपाय बतायें ताकि जीवहत्या किये बिना जीवन की रक्षा की जा सके। तब हम भी आपके अभियान में शामिल हो जायेंगे।
प्रय बंधुवर,
सिर्फ इसलिए चमड़े निर्मित वस्तुओं का उपयोग बंद कर देना चाहिए कि इससे जीव हत्या को बढ़ावा मिलता है। मैं आपके इस विचार से सहमत नहीं हूँ। मृत पशुओं के चमड़े से भी चर्म उत्पाद तैयार होता है, जिसमें जीव हत्या नहीं किया जाता है। दूसरी बात शाकाहारी लोग भ्रम फैलाते हैं कि वे जीव हत्या नहीं करते। सिर्फ आप बकरे में जीव होने की बात स्वीकार करते हैं। पेड़-पौधे भी सजीव हैं। जिसकी हत्या करने से शाकाहारी लोग परहेज नहीं करते। लकड़ी से निर्मित वस्तुाओं का भी उपयोग बंद किजिये, क्योंकि पेड़ सजीव हैं। पेड़ काटने से भी तो जीव हत्या होती है। अनाज खाना बंद कीजिये, क्योंकि अनाज के हर दाने में जीवन की संभावना होती है। हमारे यहाँ एक कहावत है गुल खाए गुलगुले से परहेज। दो जीवों के लिए अलग-अलग मानदंड क्यों ? संतुलन बनाये रखने के लिए भी जीवहत्या जरूरी है। अगर प्रकृति के अनुसार यह सही नहीं होता तो मानव द्वारा इसकी शुरूआत नहीं की जाती। शाकाहारी लोग अंडे खाने से परहेज करते जबकि बछड़े के हिस्से का दूध मजे से पीते हैं। आपको पता तो जरूर होगा कि बड़े-बड़े डेयरी में बछड़े को मार दिया जाता है ताकि गाय से अधिक से अधिक दूध प्राप्त किया जा सके। एक अभियान दुग्ध उत्पाद का सेवन नहीं करने के लिए भी चलाइये। पेड़-पौधे से निर्मित वस्तुओं एवं अनाज का सेवन बंद करने का अभियान चलाईये। इसमें भी जीव हत्या होती है। अगर आपमें ये साहस है एवं वे उपाय बतायें ताकि जीवहत्या किये बिना जीवन की रक्षा की जा सके। तब हम भी आपके अभियान में शामिल हो जायेंगे।
संजय जी,
प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद। आप मेरे विचारों से सहमत नहीं हैं................. पर हरेक बात पर चिंतन करना आवश्यक है। मैं दूध के सेवन पर भी लिखा हूँ जिसे आप http://popularindia.blogspot.com/2008/01/blog-post_1511.html देख सकते हैं। मेरा अन्य रचना भी देखें। मेरे अन्य ब्लॉग पर के विचार व उस पर दी गए प्रतिक्रिया देखें http://popularindia.blogspot.com/search/label/%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5-%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE
आपका
महेश
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