नीचे के समाचार को पढ़ें व विचारे:
जब संतमत-सत्संग के आश्रम में इस प्रकार की घटना हो सकती है तो अन्य जगह ऐसी घटना नहीं होगी यह कैसी सुनिश्चित की जाएगी? जो संतमत-सत्संग ख़ुद अपने प्रमुख आश्रम को व अपने प्रमुख संतों को सुरक्षित नहीं रख सकी तथा आरोपी भी प्रमुख संत-महात्मा ही है, वह संतमत-सत्संग कैसे शान्ति फैलाएगी? कैसे अब लोग इन साधु-महात्माओं पर विश्वास करे???
ताजा समाचार है कि जिन्हें गोली लगी उनहोंने कल यानि २४.०७.२००८ को दम तोड़ दिया।
अब आप सोचें कि अध्यात्म के आड़ में संतमत-सत्संग का आश्रम क्या अपराध का अड्डा नहीं बन रहा है?
शान्ति के संदेश देने वाले साधु-महात्मा क्या अपराध नहीं कर रहे हैं?
तो नीचे २३.०७.२००८ के समाचार-पत्र का समाचार पढें व विचारें। उल्लेखनिए है कि साधु दयानंद ने २४.०७.२००८ को दम तोड़ दिया है।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=3&edition=2008-07-23&pageno=1#
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=3&edition=2008-07-23&pageno=17#
------------------------
भागलपुर, अपराध संवाददाता : जिले के बरारी थाना अंतर्गत कुप्पा घाट स्थित महर्षि मेही आश्रम पर कब्जे को लेकर सोमवार की देर रात आश्रम के एक साधु दयानंद दास को गोली मार दी गई। जिन्हें गंभीर हालत में जेएलएनएमसीएच में भर्ती कराया गया, जहां उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इस संबंध में स्वामी दयानंद के बयान पर मंगलवार को आश्रम के चार पदाधिकारियों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जिनमें महर्षि मेंही आश्रम में कब्जे को लेकर साधु को मारी गोली महर्षि मेंही आश्रम .. अखिल भारतीय संतमत सतसंग महासभा के आशुतोष बाबा, महामंत्री करुनेश्वर सिंह, सह मंत्री राजेन्द्र सिंह व प्रबंधक महापात्रा बाबा के नाम शामिल हैं। इधर, देर शाम डीआईजी रघुनाथ प्रसाद सिंह आश्रम पहुंच मौके का जायजा लिया तथा घटना को आश्रम विवाद का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उधर, एसपी कुंदन कृष्णन को आशंका है कि महंत को उसकी ही रिवाल्वर से गोली लगी है। यदि हत्या की नीयत से गोली चलाई गई होती तो गोली कमर की नीचले हिस्से में क्यों लगती। फिर भी मामले की जांच की जा रही है। सुपौल जिले के करजाइन बाजार निवासी वैद्यनाथ प्रसाद यादव के पुत्र स्वामी दयानंद दास ने प्राथमिकी में कहा है कि वह गुरुमहाराज के समाधि स्थल के पीछे स्थित कमरा नंबर तीन में सो रहे थे तथा कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। इसी बीच रात के पौने तीन बजे के करीब उसके कमर में गोली मार दी गई। गोली लगते ही वे विस्तर से नीचे गिर चिल्लाने लगे परन्तु वहां कोई नहीं आया। बाद में उन्हें मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा कि नामजद चारों लोग मिलकर आश्रम से उसे निकालवाना चाहते थे। क्योंकि आश्रम में हो रहे गोरख धंधे की उसे जानकारी थी। इसके अलावा वे आशुतोष बाबा का आचार्य के उत्तराधिकारी बनने का भी विरोध करते थे। उन्होंने बताया कि उनके मित्र पंकज दास को जबसे आश्रम से बाहर निकाला गया है तब से उसने आशुतोष बाबा को प्रणाम करना तक बंद कर दिया था। इस बात को लेकर भी आशुतोष बाबा नाखुश थे। इन्हीं सब कारणों से एक साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया। इस संबंध में कमरा नंबर एक में रहनेवाले मोनू बाबा, कमरा नंबर पांच के तेजनारायण जो आश्रम की खेती करते हैं तथा सामने वाले कमरे में रहने वाले सफाईकर्मी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि वे लोग सो रहे थे। जिस समय घटना घटी उस समय बिजली नहीं थी। इन लोगों का कहना है कि घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया तथा घटना के वक्त मोनू बाबा व तेजनारायण के कमरे को भी बाहर से बंद कर दिया गया था। इधर, मंत्री राजेन्द्र सिंह, व्यवस्थापक महापात्रा व आशुतोष बाबा ने लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया है। इनलोगों ने दयानंद दास को आश्रम से निकालने की बात को गलत करार देते हुए कहा कि आश्रम के लोग ऐसी घिनौनी हरकत नहीं करेंगे। उनलोगों ने बताया कि महामंत्री करूणेश्र्वर सिंह 19 जुलाई से ही बाहर हैं। घटना के कारणों के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए इन लोगों ने इसकी निंदा की है। जांच पूर्व निर्णय तक पहुंचना जल्दबाजी : हरिनंदन बाबा भागलपुर : महर्षि मेंही आश्रम के आचार्य स्वामी हरिनंदन बाबा ने कहा कि घटना की जानकारी उन्हें वार्निग घंटी के बाद रात्रि करीब पौने तीन बजे हुई। हालांकि घटना की वास्तविकता का अब तक उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि घटना को अंजाम बाहरी तत्वों या फिर आश्रम के लोगों द्वारा दिया गया है यह विचारनीय बिंदु है। इसकी गहन जांच कराई जाएगी तथा जांच पूर्व किसी निर्णय तक पहुंचना जल्दबाजी होगी। इस घटना से आश्रम की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। उन्होंने वर्तमान में आश्रम में किसी तरह के विवाद से भी इनकार किया है। व्यवस्था में कमी की बात मानते हुए उन्होंने कहा कि देर शाम आश्रम में आए बाहरी लोगों एवं कमरों की अच्छी तरह जांच होनी चाहिए। जांच में कोताही बरतने का नतीजा सामने है।
1 comment:
क्या आप साधु-संत पर भी विश्वास करते हैं? आजकल येलोग भेड़िये की खाल में शेर हैं। असल में असामाजिक तत्व हैं। इनसे आमजन को सावधान रहना चाहिए। लेकिन हो इसके विपरीत रहा है। सीधे-सादे लोग ही नहीं पढ़े-लिखे लोग भी इनके चंगुल में फंसे रहते हैं। पता नहीं लोग जागरूक क्यों नहीं हो रहे हैं।
Post a Comment