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Justice For Mahesh Kumar Verma
Sunday, August 17, 2008
दिल का जख्म
कोई आए मेरे दिल का दर्द सुन ले
कोई तो दिल के जख्म पर मलहम लगा दे
है जख्म ये जो भरती नहीं
है इसकी दवा जो मिलती नहीं
कोई आए मेरे दिल का दर्द सुन ले
कोई तो दिल के जख्म पर मलहम लगा दे
क्या सुनाऊं दिल का हाल
पापियों ने किया इसे बेहाल
थी अरमां आसमां छूने को
पर ऊँचाई से उसने ऐसा धकेला
कि दिल टुकड़े-टुकड़े हुए
दिल टुकड़े-टुकड़े हुए
किसी तरह टुकड़े को जोड़कर
नया जीवन जीना चाहा
पर आगे के राह में
उसने ऐसा रोड़ा लगाया
कि दिल का जख्म बढ़ता ही गया
दिल का दर्द बढ़ता ही गया
कोई आए मेरे दिल का दर्द सुन ले
कोई तो दिल के जख्म पर मलहम लगा दे
बहुत कोशिश की दिल के जख्म को भरने की
पर नहीं किया था रत्ती भर भी सद्व्यवहार उसने
किया था मेरे दिल पर आघात ही आघात उसने
मेरे दिल का जख्म बढ़ता ही गया
दिल का जख्म बढ़ता ही गया
मुझसे उसने दुनियाँ का सब कुछ छीन लिया
नहीं छोड़ा उसने कुछ भी मेरे लिए
सिवाय दिल के जख्म के
सिवाय दिल के जख्म के
कोई आए मेरे दिल का दर्द सुन ले
कोई तो दिल के जख्म पर मलहम लगा दे
कोई तो दिल के जख्म पर मलहम लगा दे
कोई तो दिल के जख्म पर मलहम लगा दे
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http://kathavyatha.blogspot.com/#septkavita1
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3 comments:
मैं आप के दिल की आवाज़ सुन रहा हूँ अच्छा लिखते है आप ..
बहुत कोशिश किया दिल के जख्म को भरने का
पर नहीं किया था उसने रत्ती भर भी सद्व्यवहार मेरे साथ
(बहुत कोशिश(की) दिल के जख्म को भरने (की)
पर नहीं किया था रत्ती भर भी सद्व्यवहार उसने)
वैसे दिल से लिखी, दिल की आवाज़ अच्छी लगी। मेरे दोस्त का चेहरा आपसे मिलता है।और वो भी पटना का ही है।
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