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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Saturday, November 17, 2007

मांसाहार भोजन : उचित या अनुचित

मनुष्य जाति के लिए इससे बड़ी शर्म की बात और कुछ नहीं होगी कि यह बेकसूर जीवों को मारकर फिर उसे खाकर अपना पेट भरता है। धिक्कार है ऐसी मनुष्य जाति को जो अपने को सर्वश्रेष्ठ व सर्वाधिक बुद्धिमान व विवेकशील कहता है। उस समय कहाँ जाती है उसकी बुद्धिमत्ता व विवेकशीलता जब वह बेकसूर जीवों को मारकर उसे खाता है? क्या यही उसकी बुद्धिमत्ता है कि निरपराध जीवों को मारकर अपनी पेट भरे? क्या यही उसकी बुद्धिमत्ता है कि अपने से कमजोर जीव को मारकर अपना पेट भरे?..................
किसी भी सूरत में मांसाहार भोजन उचित नहीं है। जिस प्रकार हमें अपने प्राणों से प्रेम रहता है उसी प्रकार हमें उन जीवों के लिए भी सोचना चाहिए जिन्हें मारकर हम खाते है। ..........

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मंथन : विजया दशमी और मांसाहार भोजन

शाकाहारी भोजन : शंका समाधान

वह बकरा ने आपको क्या किया था?

http://groups.google.co.in/group/hindibhasha/browse_thread/thread/dde9e2ce361496a0

4 comments:

Anonymous said...

I read a detail story in Dainik Bhaskar and story was saying that being a vegitarian is better.

Pratik Pandey said...

मनुष्य के पास इसके अलावा क्या विकल्प है? अन्न खाने के लिए भी तो पौधों की हत्या की जाती है और उनमें भी प्राण होते हैं। क्या एक प्राणी की हत्या जायज़ है और दूसरे की ग़लत?

Unknown said...

Who the hell are you to use this kind of abusing language for nonagenarians.
Goats r vegetarian, go & live with them

Anonymous said...

जिस जीव को पांचों ज्ञानेन्द्रियों द्वारा जाना जा सकता है । उस जीव की हत्या न्याय एवं नीति की दृष्टि से अनुचित है । जिस जीव की हत्या का न्याय और नीति को स्थापित करने एवं आत्मरक्षा से कोई संबंध नहीं है । इसलिए अन्याय एवं अनीति पर आधारित जीव हत्या धर्म नहीं हो सकती । जो कर्म धर्म के विरुद्ध हो, वह अधर्म है । धर्म तो अन्तिम समय तक क्षमा करने का गुण रखता है । जितना बड़ा पाप, उतना बड़ा प्रायश्चित ।

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