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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Monday, October 22, 2007

महिलाओं को चुपचाप सबकुछ सहते रहना प्रताड़ना को बढावा देना है

हमें यह नहीं भूलना चाहिए की हर सफलता के पीछे किसी-न-किसी रूप में एक महिला का हाथ रहता है । आज पुरुष वर्ग घर में जहाँ अपने हरेक कार्य के लिए एक महिला पर निर्भर रहते हैं वहीं अनावश्यक कभी वह आपे से बाहर होकर उसी महिला को तरह-तरह के यातना व प्रताड़ना देने लगते हैं । उस समय वह यह भूल जाता है कि उसके भोजन से लेकर उसके घर के सारी व्यवस्था के लिए वह इसी महिला पर निर्भर है । जिस समय पुरुष को अपना कार्य निकालना हो उस समय उसे वही महिला बहुत ही प्यारी लगती है तथा अन्य समय वह बेवजह उसी महिला पर क्रोधित होते रहते हैं तथा उस महिला को तरह-तरह के यातनाएँ भी देते हैं । ऐसी स्थिति में महिला यदि चुपचाप सब-कुछ सहते रहे तो यह पुरुष द्वारा की जा रही प्रताड़ना को बढावा देना ही होगा और ऐसी स्थिति में वह पुरुष कभी भी अपनी आदत से बाज नहीं आएगा । अतः महिलाओं को चुपचाप सब-कुछ नहीं सहकर पुरुष द्वारा की जा रही बेवजह प्रताड़ना का विरोध करना चाहिए । और ऐसा करने पर ही आँख रहते अंधे पुरुष को यह समझ में आएगी कि महिला उसके लिए कितनी महत्तवपूर्ण है ।
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यह महेश कुमार वर्मा द्वारा २०.०६.२००७ को लिखा गया था जिसे जून २००७ के कादम्बिनी के मतान्तर में भेजा गया था ।

4 comments:

Anita kumar said...

्महेश जी इतना आसान नही होता महिलाओ के लिए अपन विरोध दिखाना

ghughutibasuti said...

आसान हो या कठिन यह तो करना ही पड़ेगा । बिना कठिनाई झेले कभी कुछ मिला है क्या ?
घुघूती बासूती

अनुनाद सिंह said...

महेश जी,
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है।

आपके विचार पसन्द आये। इसी तरह महत्वपूर्ण विषयों पर लिखते रहिये!!

सीमा सचदेव said...

महेश जी अच्छा लगा एक पुरूष द्वारा महिला के दर्द को समझ कर लिखना लेकिन लिखना जितना आसान है उससे कही कठिन है वास्तविक होना | पढी लिखी नारी भी इतनी मजबूर होती है है की उसके पास और कोई रास्ता ही नही होता सिवाय सहने के | आपने लिख दिया लेकिन उसके परिणाम पर विचारा नही......सीमा सचदेव

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