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Justice For Mahesh Kumar Verma

Friday, November 30, 2007

तुमसे जुदाई का दर्द सहा नहीं जाता

तुमसे जुदाई का दर्द सहा नहीं जाता
तेरे बिना अब रहा नहीं जाता
खाई थी जीवन भर साथ देने की क़समें
खाई थी साथ-साथ जीने-मरने की क़समें
पर बेदर्द जमाना ने ऐसी जुदाई दी
कि फिर पास आना मुश्किल है
तुमसे मिलना मुश्किल है
आपस में बातें करना मुश्किल है
पर तोड़ दो इन सारे बंधनों को
और पास आ जाओ पास आ जाओ
तुमसे जुदाई का दर्द सहा नहीं जाता
तेरे बिना अब रहा नहीं जाता

1 comment:

Keerti Vaidya said...

kuch apna he yaad aa gaya apki kavita sey....

kaash vo lout aye...sach aaj dil fir behak gaya unki yado mein

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