मैं बेटी बनकर जन्म ले रही हूँ इसीलिए
मेरे बेटी होना से तुम क्यों घबराते हो
दहेज़ के कारण
या बेटी को पराया धन समझते हो
पर तुम्हारा सोचना व्यर्थ है
बेटी पराया धन नहीं है
तुम मुझे उचित शिक्षा देना
मेरे साथ पराये का व्यव्हार न करना
तब तुम देखोगे कि
बेटी बेटा से कहीं अधिक आगे व शुखदायक है
और तब दहेज़ की समस्या भी ख़त्म हो जाएगी
क्या सोचते हो
मेरे जन्म से तुम्हें मोक्ष या परमात्मा-प्राप्ति में संदेह है
पर तुम्हें यह समझाना चाहिए कि
मोक्ष या परमात्मा-प्राप्ति
संतान के बेटा या बेटी होने पर निर्भर नहीं करता है
यह निर्भर करता है तुम्हारे ध्यान-साधना व तुम्हारे किए कर्म पर
फिर क्या मुझे जन्म से पहले ही मार देने पर
तुम्हें मोक्ष या परमात्मा की प्राप्ति हो जाएगी
कभी नहीं, कभी नही, कभी नहीं
तब फिर तुम मुझे क्यों मारना चाहते हो
तुम्हारी सारी सोच निराधार है
तुमने ही मुझे जन्म लेने के लिए प्रयोजन किया
फिर तुम ही मुझे जन्म से पहले ही मारने का प्रयोजन कर रहे हो
सिर्फ इसीलिए कि मैं नारी जाति का हूँ
पर तुम यह मत भूलो कि
मैं जिसके कोख से जन्म लेने वाली हूँ
वह भी नारी ही है
मुझे जन्म देने वाली माँ भी नारी के कोख से ही जन्म ली है
तुम भी नारी के ही कोख से जन्म लिए हो
इतना ही नहीं
सभी नर व नारी नारी के ही कोख से जन्म लिए हैं
तब फिर तुम मुझे जन्म लेने से क्यों रोकते हो
शायद अब तुम समझ गए होगे कि
नारी बिना यह सृष्टि नहीं चल सकती है
व बेटी पराया नहीं अपना है
मेरे जन्म के प्रयोजन करने वाले मेरे माता-पिता
तुमसे मेरी यही आग्रह है कि
मुझे मारने का प्रयोजन मत करो
व मुझे मत मारो
मुझे भी जन्म लेने दो
मुझे भी जन्म लेने दो
रचनाकार : महेश कुमार वर्मा
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तुमसे मेरी यही आग्रह है कि
मुझे मारने का प्रयोजन मत करो
व मुझे मत मारो
मुझे भी जन्म लेने दो
--मार्मिक.
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