है रमजान प्रेम-मुहब्बत का महीना।
है रमजान मज़हब याद दिलाने का महीना॥
है रमजान ज़श्न मनाने का महीना।
है रमजान ज़श्न मनाने का महीना॥
पाक रखेंगे इसे अल्लाह के नाम।
नहीं करेंगे हम इसे बदनाम॥
है प्रेम का महीना रमजान।
है प्रेम का महीना रमजान॥
आया है ईद प्रेम-भाईचारा का सौगात लेकर।
मनाएंगे इसे वैर व कटुता का भाव भुलाकर॥
मिलजुल मनाएंगे ईद।
नहीं करेंगे मांस खाने की जिद॥
तोड़ेंगे हिंसा का रश्म।
मनाएंगे मिलकर ज़श्न॥
हम सब लें आज ये कसम।
हम सब लें आज ये कसम॥
है रमजान मज़हब याद दिलाने का महीना॥
है रमजान ज़श्न मनाने का महीना।
है रमजान ज़श्न मनाने का महीना॥
पाक रखेंगे इसे अल्लाह के नाम।
नहीं करेंगे हम इसे बदनाम॥
है प्रेम का महीना रमजान।
है प्रेम का महीना रमजान॥
आया है ईद प्रेम-भाईचारा का सौगात लेकर।
मनाएंगे इसे वैर व कटुता का भाव भुलाकर॥
मिलजुल मनाएंगे ईद।
नहीं करेंगे मांस खाने की जिद॥
तोड़ेंगे हिंसा का रश्म।
मनाएंगे मिलकर ज़श्न॥
हम सब लें आज ये कसम।
हम सब लें आज ये कसम॥
--महेश कुमार वर्मा
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