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Justice For Mahesh Kumar Verma

Friday, November 14, 2008

छोड़ दूंगा सारी दुनियाँ मैं तुम्हारे लिए

छोड़ दूंगा सारी दुनियाँ मैं तुम्हारे लिए
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दुनियाँ वाले मुझे तुमसे अब नहीं है कुछ कहना।
मुझे यहाँ रहने का अब नहीं है कोई बहाना॥

क्या फायदा हुआ तुझे मुझको यूँ ही तड़पा कर।
क्या फायदा हुआ तुझे मुझको यूँ ही रुला कर॥
क्या फायदा हुआ तुझे मुझसे मेरा अधिकार छिनकर।
क्या फायदा हुआ तुझे मेरे जीने का आधार छिनकर॥
यदि मैं कुछ नहीं कर सकता उसके लिए।
तो मैं जिऊँगा फिर किसके लिए॥
जीने का अंतिम आधार था वह मेरे लिए।
मौत से बचने का एक ही सहारा था वह मेरे लिए॥
आया था मैं मौत के बहुत ही करीब से।
जीने की आशा थी अब सिर्फ उसी से॥
जीने के लिए मुझे उसके लिए कुछ करना जरुरी था।
उसके लिए मुझे जीना भी बहुत जरुरी था॥
उसके लिए मेरा सपना रह जाएगा अधुरा।
उस सपना को फिर कौन करेगा पूरा॥
एक सिर्फ वही बचा था मेरे लिए।
उसे छिनकर कुछ नहीं छोड़ा तुम मेरे लिए॥
अब मुझे कुछ नहीं कहना है तुमसे।
चलाओ दुनियाँ को तुम अपनी मन से॥
नहीं कुछ रहा यहाँ अब मेरे लिए।
नहीं रहा मैं यहाँ अब किसी के लिए॥
छोड़ दूंगा सारी दुनियाँ मैं तुम्हारे लिए।
छोड़ दूंगा सारी दुनियाँ मैं तुम्हारे लिए॥

------------------------------http://groups.google.co.in/group/hindibhasha/browse_thread/thread/d5274d12d3216ye5

1 comment:

पुरुषोत्तम कुमार said...

भई, महेश जी आपका ब्लॉग काफी अच्छा लगा. आप लिखते भी अच्छा हैं.

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