मैं अपने पिछले पोस्ट में परीक्षा में कदाचार का जिक्र किया है। विचारनीय है कि परीक्षा व मूल्यांकन में कदाचार के लिए जिम्मेवार कौन है? मैं जोर देकर कहता हूँ कि परीक्षा में कदाचार के लिए जिम्मेवार और कोई नहीं बल्कि परीक्षार्थी के अभिभावक रहते है। जी हां अभिभावक, जो अपने बच्चे के विकास के लिए उसे स्कूल में पढ़ाते हैं पर मैट्रिक की परीक्षा में चोरी कराने में सबसे आगे उनका ही हाथ रहता है। और ऐसा करके वे अपने बच्चे का जीवन उज्जवल नहीं बल्कि अंधकारमय ही बनाते हैं। यह मेरी कोरी बहस नहीं बल्कि वास्तविकता है। जो बच्चा स्कूल के परीक्षा में चोरी नहीं करता था और मैट्रिक की परीक्षा में भी चोरी नहीं करना चाहता है उसे भी अभिभावक मैट्रिक के परीक्षा में चोरी करने के लिए चीट / पुर्जा देते हैं। यह बात सही है कि मैट्रिक के परीक्षा में चोरी / नक़ल करने के पक्ष में विद्यार्थी से ज्यादा उसके अभिभावक रहते हैं और अभिभावक खुद परीक्षा में अपने विद्यार्थी को नक़ल करने के लिए चीट (पुर्जी) पहुँचाते हैं / पहुँचवाते हैं। और ऐसा करके वे अपने बच्चे का भविष्य बनाने में सहयोग नहीं करते हैं बल्कि बच्चे के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर भविष्य बिगाड़ते हैं।
क्या ऐसी स्थिति से हमारी समाज सुधर सकती है?
3 comments:
भगवान ही मालिक है ऐसे में जब अभिभावक यह कार्य करें.
बिहार में तो यही होता है. बिहार के बाहर का हाल में नहीं कह सकता हूँ. झारखण्ड के पलामू से बिहार के पटना से सहरसा तक का यह हाल तो मैं खुद अपने आँखों देखा हूँ.
नकल कराने की कला, सीख गए पितु-मात.
तब बच्चों को राम ही, पार लगाये तात.
salil.sanjiv@gmail.com
divyanarmada.blogspot.com
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