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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Thursday, February 26, 2009

आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए प्रकाशक जिम्मेवार क्यों?

आज मैं निम्न पोस्ट पढ़ा :

ब्लागर हैं तो क्या? कानून से ऊपर नहीं (http://teesarakhamba.blogspot.com/2009/02/blog-post_26.html)

ब्लागर और वेब पत्रकार भी कानूनी दायरे में (http://janadesh.in/InnerPage.aspx?Story_ID=76)

वैसे मैं सम्बंधित ब्लॉग को या इससे सम्बंधित समाचार को अन्यत्र कहीं नहीं पढ़ा या सुना हूँ। पर इस ब्लॉग में लेखक ने जो बात कहना चाहा है वह तो मैं समझ गया. पर एक बात मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि यदि कोई साईट या ब्लॉग या समाचारपत्र ऐसा है जो किसी विषय पर आम लोगों की निष्पक्ष विचार आमंत्रित करता है और सम्बंधित साईट या पत्र का उद्देश्य रहता है कि वह आम लोगों की निष्पक्ष विचार को सार्वजानिक करे ताकि आम जनता यह जान सके कि इस विषय पर किसका क्या विचार है. तब यदि कोई व्यक्ति उसपर अपने विचार में या टिप्पणी में कोई आपत्तिजनक बात लिखता है तो इसके लिए साईट या पत्र का स्वामी जिम्मेवार क्यों होगा और उसपर कार्रवाई क्यों होगी? उसका तो उद्देश्य तो आम लोगों के विचार को सार्वजानिक करना था. .................... ऐसी स्थिति में तो कार्रवाई सम्बंधित विचारक / टिप्पणीकार पर होनी चाहिए न कि साईट / ब्लॉग / समाचारपत्र के स्वामी पर. यदि किसी साईट या पत्र पर आये टिप्पणी से ही किसी के (या टिप्पणीकार के) अपराधिक प्रकृति का पता चलता है तो इसके लिए सम्बंधित साईट / पत्र के स्वामी या प्रकाशक जिम्मेवार क्यों व कैसे होगा? ................... ऐसी स्थिति में यदि कसी के टिपण्णी से किसी के अपराधिक प्रकृति का पता चलता है तो इसके लिए टिप्पणीकार जिम्मेवार होगा और कार्रवाई भी उसी पर होनी चाहिए न कि साईट या पत्र के स्वामी या प्रकाशक पर.............


ऊपर वर्णित पोस्ट के लेखक, प्रकाशक व पाठक कृपया इसपर अपनी राय स्पष्ट करें.

4 comments:

आलोक said...

यह फैसला तो मुझे समझ नहीं आया। विरोधाभास है। मेरे विचार

राज भाटिय़ा said...

मुझे लगता है बस लोगो की जुबान बन्द करना ही सरकार का काम है, अब कोई लालू य सोनिया के बारे लिखे ही ना, ना कोई टिपण्णी ही दे, यही तो चाहते है यह लोग....

दिनेशराय द्विवेदी said...

इस आलेख को आप ने पूरा नहीं पढ़ा। आप यहाँ http://janadesh.in/InnerPage.aspx?Story_ID=76 पूरा आलेख पढ़ सकते हैं।

दिनेशराय द्विवेदी said...

भारतीय दंड संहिता की धारा 499 में मानहानि को इस तरह परिभाषित किया गया है-
जो कोई बोले गए, या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्य निरूपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि की जाएया यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की अपहानि होगी अपवादों को छोड़ कर यह कहा जाएगा कि वह उस व्यक्ति की मानहानि करता है।

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