हमारे देश को स्वतंत्र हुए ६२ वर्ष हो गए और अब हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं, कोई कुछ करने वाला नहीं है। चाहे भ्रष्टाचार का मामला हो या अपराध का मामला हो हम बेरोकटोक आगे बढ़ रहे हैं। आखिर हम स्वतंत्र जो हैं, मेरे कार्य पर कोई भला क्यों अंकुश लगाएगा? इतना ही नहीं हम अपने पहनावे में भी पूर्ण स्वतंत्र हो गए हैं। अपने इच्छानुसार हम ज्यादा कपड़े पहनें या कम पहनें, दुसरे को क्यों कुछ भी लेना-देना? तब तो आज फिल्म से लेकर हमारे समाज तक में शरीर पर से वस्त्र घटने लगे हैं। और यही देखकर मेरे कलम को भी नहीं रहा गया और उसे यह गीत गाना पड़ा :
हट गए हैं वस्त्र तन से साथियों।
अब तुहारे हवाले बदन साथियों॥
हो गए हैं फिदा सनम साथियों।
होंगे न जुदा सनम साथियों।
साँस थमती नहीं नब्ज जमती नहीं।
तुमसे मिलने को हैं बेकरार साथियों।
अब तुम्हारे हवाले बदन साथियों॥
हो गए हैं निर्वस्त्र दिलदार साथियों।
है तुम्हारा इंतजार आशिकी साथियों।
अब तुम्हारे हवाले बदन साथियों।
अब तुम्हारे हवाले बदन साथियों॥
(व्यंग्य)
रचनाकार : महेश कुमार वर्मा
3 comments:
BAHUT GAJAB LIKHA
NISHCHIT HI AAJ BADAN HAWALE KARNE WALE FIR RAPE KI BAAT KARTE H
RAMESH SACHDEVA
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RAMESH SACHDEVA
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HPS DAY-BOARDING SENIOR SECONDARY SCHOOL,
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Saarthak vyangya.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut khub.............
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