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Justice For Mahesh Kumar Verma

Thursday, October 25, 2007

आखिर कब तक

क्यों तड़पाते हो मुझे
क्यों कष्ट देते हो मुझे
क्यों लोगों को गुमराह करते हो तुम
इसीलिए क्योंकि मैं
हमेशा सत्य पर रहा
इसीलिए क्योंकि मैं
कभी झूठ नहीं बोला
इसीलिए क्योंकि मैं
हमेशा तुम्हें अपना समझा
कब तक तपाओगे मुझे
कब तक कष्ट दोगे मुझे
कब तक करोगे तुम अन्याय
कब करोगे तुम मेरे साथ न्याय
क्या तुम कभी नहीं आओगे सच्चाई पर
क्या तुम कभी नहीं करोगे न्याय
मैंने तुम्हें झूठ बोलने के मामला में
सबसे खतरनाक व्यक्ति घोषित किया
मैंने तुम्हें इस पृथ्वी पर का
सबसे बड़ा अन्यायी व पापी व्यक्ति घोषित किया
क्या तुम्हारे अन्याय का अंत नहीं होगा
क्या तुम सच्चाई व इमानदारी पर नहीं आओगे
आखिर क्या चाहते हो तुम
आखिर तुमको मुझसे बात करने का सहस क्यों नहीं है
इसीलिए क्योंकि तुम हमेशा गलत व झूठ पर रहे
आखिर कब तक चलेगी तुम्हारी अन्याय
और कब तक मैं जीवन और मौत के बीच जूझता रहूंगा
तुम हो शिव शंकर मैं हूँ महेश
पर हम दोनों में कब तक चलेगी यह लड़ाई विशेष
चुप क्यों हो
मुझे जवाब चाहिए
आखिर कब तक चलेगी तुम्हारी अन्याय
आखिर कब तक

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यह रचना महेश कुमार वर्मा द्वारा ०४.०६.२००६ को लिखा गया था ।

1 comment:

Udan Tashtari said...

आज शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ. अच्छा लगा.

बहुत स्वागत है हिन्दी चिट्ठाजगत में. निरंतर लेखन के लिये शुभकामनायें.

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