आज सरकार शिक्षा पर जोर दे रही है तथा तरह-तरह के योजनाएं चला रही हैं। पर उस सरकार को क्या यह वास्तविकता मालूम है कि उनके योजनाओं का कितना लाभ बच्चों को मिल रहा है। सरकार को यह नहीं मालूम है कि उनके द्वारा लागु किए गए दोपहर के भोजन का कार्यक्रम की सारी रकम व अनाज स्कूल के शिक्षकों द्वारा चट कर दिए जाते हैं और बच्चों को भोजन नहीं मिलता है और यदि कहीं कभी-कभी थोड़ा-बहुत मिल भी जाता है तो वह घटिया किस्म का ही रहता है। ............ और इस कारण आज सरकारी स्कूल जाने वाले बच्चे-बच्चे "घोटाला" शब्द से वाकिफ हो गए हैं और वे जानते हैं कि उनके लिए आए अनाज उनको न मिलकर शिक्षकों के घर पहुँच रहे हैं। ..............
आज सरकार १४ वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने की बात कह रही है। पर क्या सरकार कभी इस सच्चाई को जानने की कोशिश की कि कितने बच्चे स्कूल जाते हैं व पढ़ते हैं? शायद सरकार कभी यह जानने की कोशिश नहीं की, और यदि की तो वह सही तथ्य तक नहीं पहुँच पायी। ........ आज भी ऐसे कितने बच्चे हैं जो अपनी पढ़ाई के उम्र में पढ़ाई से वंचित होकर अपने पेट पालने के लिए कहीं किसी के अन्दर काम या नौकरी कर रहे हैं। इस प्रकार के बच्चों को न तो पढ़ने का मौका मिलता है और न तो खेलने का ही मौका मिलता है। ................ बच्चो के साथ ऐसी स्थिति सिर्फ गाँव-देहात में ही नहीं शहर में भी है। जबकि बाल मजदूरी पर कानून ने रोक लगा रखी है। ............ शहर के होटलों में या अन्य स्थानों में भी ऐसे कितने बच्चे मिलेंगे जो दिन भर काम करके अपना पेट पालते हैं और न तो वे लिखना-पढ़ना जानते हैं और न तो जान पाते हैं। उन्हें तो बस दिन भर वहाँ काम करना है। उनके जीवन में न तो पढ़ाई है, न तो खेल है और न तो उनके विकास का कोई साधन है। ................... आप सोच सकते हैं कि ऐसे बच्चों का भविष्य क्या होगा? ..............
सरकार को सिर्फ घोषणाएं करने व कार्यक्रम तैयार करने से नहीं होगा .................. बल्कि हर बच्चे को उचित समय पर उचित शिक्षा व उचित वातावरण सुनिश्चित कराना होगा। हमें बच्चे के प्रतिभा को कुंठित नहीं होने देना चाहिए बल्कि प्रतिभा को जगाना चाहिए।
--- महेश कुमार वर्मा
०२.०९.२००८
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1 comment:
अच्छे लोगों को हर क्षेत्र में आगे आने की ज़रूरत है ताकि अच्छी योजना हो और सच्चा अमल हो. शुभकामनाएं!
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