नशा!
नशा शराब में नहीं
नशा बोतल में नहीं
नशा तो मेरे मन में है
यदि होती शराब में नशा
तो नाचती वो बोतल
यदि होती बोतल में नशा
तो नाचती वो बोतल
पर नशा तो मेरे उस मन में है
जिसने खुद को पागल बनाया
व बोतल व शराब से दोस्ती निभाया
नशा शराब में नहीं
नशा मेरे मन में है
नशा मेरे मन में है
और बोतल बेचारा बदनाम है
नशा बोतल में नहीं
नशा मेरे मन में है
नशा मेरे मन में है
दिल की आवाज़ में आपका स्वागत है। यहाँ आप विभिन्न विषयों पर महेश कुमार वर्मा के स्वतंत्र विचार, तर्क व रचनाएँ देख व पढ़ सकते हैं। आपके स्वतंत्र व निष्पक्ष सुझाव व विचारों का स्वागत है। E-mail ID : vermamahesh7@gmail.com
Justice For Mahesh Kumar Verma
Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....
Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015
Wednesday, April 1, 2009
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5 comments:
बढिया रचना लिखी है।बधाई।
bahut hi sundar nasha hai bade sahab.bole to LAJABAB
अच्छा लिखा है ...
बिलकुल सही लिखा.
धन्यवाद
सभी को मेरे ब्लॉग पर पधारने व प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपका
महेश
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