आख़िर क्या गलती थी मेरी
जो तुमने मुझे बदनाम व अपमानित किया
आख़िर क्या गलती थी मेरी
जो तुमने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया
आखिर क्या गलती थी मेरी
जो तुमने मेरे साथ मार-पिट किया
आखिर क्या गलती थी मेरी
जो तुमने मुझे घर से निकला
चुप क्यों हो
बोलते क्यों नहीं हो
मुझे जवाब चाहिए
आखिर क्या गलती थी मेरी
आख़िर किस गलती की
सजा दे रहे हो मुझे
बोलो, बोलते क्यों नहीं हो
जवाब दो, मुझे जवाब चाहिए
आखिर क्या गलती थी मेरी
यही न कि
मैं तुम्हारे द्वारा बोले गए झूठ का विरोध किया
व तुम्हें सच्चाई बताना चाहा
बस यही न
इसी गलती की सजा दे रहे हो तुम
यानी सच बोलने की सजा
यदि सच बोलना है गुनाह तो जिंदा रहना भी है गुनाह
ठीक है, मर जाउंगा मिट जाउंगा
पर नहीं रहूंगा झूठ को स्वीकारकर
और मेरे मरने के लिए जिम्मेवार होगे तुम
तुम यानी झूठ बोलने के मामला में सबसे खतरनाक
व इस पृथ्वी पर का सबसे बड़ा अन्यायी व पापी व्यक्ति शिव शंकर
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यह रचना महेश कमर वर्मा द्वारा २६.०६.२००६ को लिखा गया था।
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Justice For Mahesh Kumar Verma
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2 comments:
बाप रे, बहुत भयंकर क्षोब है किसी बात का. खुल कर लिख दें..अवसाद जाता रहेगा..भले ही लेख की शक्ल में.
अरें! यह क्या..? पता नही आप किस बात से शिव महा प्रभू से नाराज हो गए?...जरा विस्तार से बताए।
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