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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Sunday, March 14, 2010

Is the Government Blind? क्या सरकार अंधी है?

Is the Government Blind?

It is not necessary that luxuries and attitude of people will improve, however improvement our country achieves. Now a days science is developing so much whereas there are many illiterate people. The largest number of illiterates is in India as per one report. There are numerous children seen in the hotels, restaurants, at the stations, in the market and on footpath to earn their livelihood or sell something. These children get opportunity neither to play nor to study. Not only this, these children are also engaged in selling items of narcotics like tobacco, pan parag, etc. on which the slogan is printed "Not for minor" at public places like trains, stations etc. where its uses ar banned.

You must think what will be the future of these children? Someone has rightly said government is blind. Narcotics and smoking items are sold openly at public places. Minors are engaged at hotels, resaurants, or like this many places. Doesn't the government see it? Where is the law for ban on selling of smoking items at common places? Where is the law for ban on child labour? Where is the law for imparting education to all children? All the rules and regulations of the government are openly violated but no positive steps are being taken against it. Perhaps government is blind surely. But who will guide this blind government? There are many political parties in our country only to reiterate and blame one another on some issues or events. All are madafter their their vote bank, they one completely blind to the improvement work being done in favour of the citizens or not, and when the welfare work is started, they think about only for the sake of their own benefit not for the common class.

Here doesn't end the discussion. We all should pander unanimously how to establish a clean and cultured society free from crime and corruption. Let us come to contribute in building a classic and honest society supporting honesty and truth.

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क्या सरकार अंधी है?
 
हमारा देश भले ही कितनी भी प्रगति कर ले पर इस देश के आम निवासी के सुख-सुविधा व सोच-विचार में प्रगति हो यह कोई आवश्यक नहीं है.  आज विज्ञान जहाँ इतनी प्रगति कर रही है वहीँ आज भी ऐसे कई बच्चे व व्यक्ति हैं जो निरक्षर हैं.  एक रिपोर्ट के अनुसार दूनियाँ में सबसे ज्यादा निरक्षर भारत में है.  आज आप होटल में, रेस्तराओं में, स्टेशन पर, बाजार में, फूटपाथ पर ऐसे कितने बच्चे देखेंगे जो अपने पेट पालने के लिए वहाँ काम करते हैं या कुछ बेचते हैं.  इन बच्चों को न तो पढने-लिखने को मिलता है न तो खेलने को ही मिलता है.  इतना ही नहीं नशीली चीजें (तम्बाकू, पान पराग, इत्यादि) जिसपर लिखा रहता है "Not for Minor"  उसे भी ये बच्चे उस सार्वजनिक स्थान पर खुलेआम बेचते हैं जहाँ इसका सेवन करना निषेध है जैसे - ट्रेन पर, स्टेशन में व अन्य स्थानों पर. 
आप जरा सोचें कि इन बच्चों का भविष्य क्या होगा?  किसी ने ठीक ही कहा है कि सरकार अंधी होती है.  खुलेआम सार्वजनिक स्थान पर नशीली चीजें व धुम्रपान का पदार्थ  बेचा जा रहा है.  अवयस्क बच्चे होटल, रेस्तरा या विभिन्न स्थानों पर काम पर लगाये जा रहे हैं. ................. क्या यह सरकार को दिखाई नहीं पड़ रही है?  कहाँ गयी सरकार की सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान रोकने संबंधी कानून?  कहाँ गयी सरकार की सभी बच्चों को शिक्षा देने संबंधी कानून?  कहाँ गयी सरकार की बाल श्रम रोकने संबंधी कानून?  सरकार के इन कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है, पर सरकार द्वारा कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है.  शायद सचमुच सरकार अंधी है.  पर इस अंधी सरकार को राह कौन दिखाएगा?  हमारे देश में कई राजनितिक पार्टियां हैं.  किसी भी घटना पर सभी एक-दुसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं.  सभी अपना-अपना वोट बैंक बनाते हैं पर आम जन के हित में क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है और यदि जाता भी है तो अपनी पॉकेट गर्म करने से किसी को फुर्सत मिलेगी तब न आम जन की समस्या पर सोचेगा.
बहस यहीं पर समाप्त नहीं होती है.  हम सबों को मिलकर यह सोचना होगा कि किस प्रकार अपराध व भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ व सुन्दर समाज की स्थापना किया जाए?  आएँ सच्चाई व ईमानदारिता का साथ देकर स्वच्छ व सुन्दर समाज बनाने में अपना सहयोग करें.
 
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Written (in Hindi) by : Mahesh Kumar Verma
Translated into English by : Dhrub Kumar Verma
 

4 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सरकार अंधी नहीं है। वास्तव में उसे इन सब चीजों से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार वास्तव में शासक वर्ग की प्रतिनिधि है। वह इस युग में पूंजीपतियों की प्रतिनिधि है। उसे जनता से कोई लेना-देना नहीं है। बस वह जनता की होने का उतना ही नाटक करती है जितना उस के आकाओं और उस के खुद के जीवन के लिए जरूरी है।

राज भाटिय़ा said...

सरकार मै बेठे लोग अंधे है जी

महेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Verma said...

आपलोगों ने सही कहा सरकार अंधी नहीं है. सरकार तो कोई जीव है नहीं कि वह अंधी हो सकती है. सरकार को चलाने के लिए जो लोग बैठे हैं वे वर्णित संदर्भ में अंधे जरुर हैं.

Anonymous said...

When all else is lost the future still remains.

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