होती थी यह वर्षों पहले
जब दिवाली में जलते थे दिये
पर अब चाहे हो जैसे
दिवाली में जलते हैं पैसे
छोड़ते हैं बम-पटाखे
और छोड़ते हैं रॉकेट
फैलाते है प्रदुषण
बढ़ाते हैं बीमारी
चाहे हो जैसे
पर दिवाली में जलते हैं पैसे
दिवाली मैं दिये अब जलते नहीं
दिये के स्थान पर है अब मोमबत्ती
मोमबत्ती का स्थान भी ले लिया अब बिजली
बिना बिजली के नहीं होता अब दिवाली
पर आपस में ख़ुशी बाँटने के जगह
खेलकर जुआ करते हैं पैसे की बर्बादी
चाहे हो जैसे
पर दिवाली में जलते हैं पैसे
दिवाली में जलते हैं पैसे
--महेश कुमार वर्मा
7 comments:
दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएँ।
बहुत ही सुन्दर कविता, आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
धन्यवाद
बहुत बढ़िया.
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com
जन-गण को
ठेंगा दिखलायें।
जन-मत को
तत्काल भुलाएँ।
सिद्धांतों को
बेच-खरीदें-
जन-मन को
हर रोज लुभाएँ।
दिन दूने औ'
रात चौगुने
जीत बढाएं भाव...
waah! bahut khub. deepawali ki shubh kaamnayen
दिपावली की शूभकामनाऎं!!
शूभ दिपावली!
- कुन्नू सिंह
दिपावली की शूभकामनाऎं!!
शूभ दिपावली!
- कुन्नू सिंह
शहर में आया तो लाया अपने साथ चराग की मौत।
वही चिराग जो रात भर सिसकता रहा शहर के लिए।।
दीपावली की शुभकामनाएँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
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