आज हमारे पुरुष प्रधान समाज में स्त्री जाति को उपेक्षित भाव से देखा जाता है। लड़का-लड़की में अंतर व लड़की को उपेक्षित भाव से देखना उसी समय से प्रारंभ हो जाता है जब लड़की अपने माँ के कोख से जन्म लेती है। जब लड़का जन्म लेता है तो लोग खुशियाँ मनाते हैं और वहीँ जब लड़की जन्म लेती है तो तो एक मायूसी छा जाती है; जैसे कि लड़की को जन्म लेने के बाद कोई विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा हो।
पर सोचें कि हम लड़का व लड़की में इतना भेद-भाव क्यों करते हैं? क्या लड़की को इस समाज में रहने व पढ़ने तथा आगे बढ़ने व कुछ करने का अधिकार नहीं है? .......... सोचने पर इसका एक यही कारण स्पष्ट होता है कि हम यह मानते हैं कि लड़की तो पराया घर जाएगी इस पर इतना ध्यान व खर्च क्यों किया जाए? धन धन हाँ, माँ-बाप अपने इसी सोच के कारण अपने बेटी का सही ढंग से न तो पालन-पोषण करते हैं न तो सही दंग से शिक्षा ही देते हैं। क्योंकि वे मानते हैं की बेटी पराया धन है इसे ससुराल में रहना है तो फिर इसके पीछे इतनी खर्च क्यों करूँ? ............ फिर एक यह भी सोच रहती है की लड़की को ज्यादा या उच्च शिक्षा देंगे तो फिर हमें उस अनुसार उसके लिए उच्च स्तर का वर ढूंढना होगा जिसमें मुझे दहेज के रूप में काफी धन देना होगा। .................... इस प्रकार दहेज समस्या के कारण भी कितने माँ-बाप अपनी बेटी को विशेष नहीं पढाते हैं। ......... पर हमें यह समझना चाहिए की हमारी यह सोच किसी भी अर्थ में उचित नहीं है। दहेज के डर से बेटी को न पढाना हमारी मुर्खता है और यह हमारी संकीर्ण व नीच विचारधारा को ही दर्शाता है। ............... इस प्रकार के सोच रखने वाले को यह समझना चाहिए कि यदि हम बेटी को उचित शिक्षा दें और पढ़ा-लिखा कर आगे बढाएँ तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। यदि लड़की पढ़-लिखकर नौकरी या कोई रोजगार करती है तो इसमें हर्ज क्या? ऐसी स्थिति में ऐसे लड़के भी आसानी से मिल सकते हैं जो बिना दहेज के या कम दहेज के उससे शादी करे। और यदि ऐसा नहीं होता है तो यदि लड़की पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ी है, आत्मनिर्भर है तो इसमें हर्ज क्या?............... इस प्रकार हमें यह समझना चाहिए कि बेटी को पढ़ा-लिखा कर आगे बढ़ाने से दहेज समस्या बढती नहीं है बल्कि बहुत हद तक दहेज समस्या का समाधान होता है। ................
अतः हमारी समाज को अपनी इस नीच सोच को बदलना चाहिए व बेटा-बेटी में फर्क न कर लड़का-लड़की दोनों को सही ढंग से पालन-पोषण व उचित शिक्षा देना चाहिए।
हाँ, यह बात भी सही है कि धीरे-धीरे हम जागरूक हो रहे हैं तथा अब कितने परिवारों में बेटी को भी उच्च शिक्षा दी जा रही है। पर इस कार्य में अभी हम बहुत ही पीछे हैं, हमें और आगे बढ़ना होगा।
अपने नीच सोच को हटाना होगा।
बेटा-बेटी में अन्तर पाटना होगा॥
बेटी को आगे बढ़ाना होगा।
जिम्मेदार माँ-बाप का फर्ज निभाना होगा॥