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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Monday, September 28, 2009

पहले राम बनो

आज विजया दशमी का पर्व है। इसी दिन लोग दशहरा पर्व का समापन भी करते हैं। कहा जाता है कि दस सिरों वाला रावण इसी दिन हारा था यानि भगवान राम के हाथों मारा गया था। और इसी के यादगार में लोग इस दिन रावण का पुतला जलाते हैं और खुशियाँ मानते हैं। पर लोग यह भूल जाते हैं कि रावण बहुत ही बड़ा विद्वान था। रावण के मरते वक्त खुद भगवान राम ने भी विद्वान रावण के पास शिक्षा ग्रहण करने गए थे। क्या राम रावण के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाकर गलती किए? क्या भगवान राम के इस कार्य से हमें सिख नहीं लेनी चाहिए? .......... निःसंदेह हमें भगवान राम के इस कार्य से सिख लेनी चाहिए। आखिर भगवान राम के इस कार्य से हमें क्या सिख मिलती है? इस घटना से हमें यही सिख मिलती है कि शत्रु के भी अच्छे गुणों को ग्रहण करें. रावण बहुत ही बड़ा विद्वान व पंडित था। भले ही किसी एक घटना के कारण वह भगवान राम के हाथों मारा गया। पर उसकी विद्वता को इंकार नहीं किया जा सकता है। और इसी कारण ही भगवान राम भी उनके पास शिक्षा ग्रहण करने गए। हमें किसी के जीवन से उसके बुराई को छोड़कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए। अतः हमें भी विजया दशमी का यह पर्व भी इसी लक्ष्य को रखकर मनाना चाहिए। पर हम करते क्या हैं। सिर्फ रावण का पुतला जलाने का ही रश्म मानते हैं। और कोई अच्छाई को ग्रहण करने का कार्य नहीं करते है। विजया दशमी के दिन बेवजह के बेकसूर जीव को मारकर उसके मांस खाकर अपना पेट भरते हैं। क्या भगवान राम ने ऐसा किया था? नहीं न? तब हम ऐसा क्यों करते है? और यदि सिर्फ रावण के पुतला को जलाकर ही विजया दशमी का पर्व मनाना है तो जरा सोचें कि रावण को तो राम ने मारा था पर यहाँ राम है कहाँ जो रावण को मारेगा? जब आप राम के तरह नहीं हैं तो आपको रावण का पुतला जलाकर रावण की निंदा कर विजया दशमी का पर्व मानाने का अधिकार कैसे हैं?

विजया दशमी का पर्व मनाओ पर पहले राम बनो तब रावण को मारना।

Saturday, September 19, 2009

करें मानवता को महान

नमस्कार

आज से शारदीय नवरात्र आरंभ हो गया हैऔर इसके साथ ही दशहरा दुर्गा पूजा का पर्व का भी शुभारंभ होगयाइस खुशी के माहौल में और भी खुशी गयी कि दो दिनों के बाद आपसी प्रेम भाईचारा का पवित्र पर्व ईदहैइन खुशी पवित्र पर्व के अवसर पर आम जनों से मेरा आग्रह है कि इन पर्वों को खुशी पवित्रता के साथ ही मनाएं तथा इन पर्वों में बुराई को आने दें


पर्व है प्रेम भाईचारा का
रखें इसे पवित्र अल्लाह के नाम
पर्व है अन्याय पर न्याय के विजय का
रखें इसे स्वच्छ भगवान के नाम
गर तुम करोगे मांसाहार
तो पर्व हो जाएगा दूषित
हम हो जायेंगे बदनाम
अतः रोको इन कुप्रथाओं को मानवता के नाम
मत करो हिंसा अल्लाह भगवान के नाम
पर्व है पवित्र रखो इसे पवित्र
मत करो इसे दूषित
पर्व है पवित्र
प्रेम भाईचारा का पर्व है बड़ा महान
अन्याय पर न्याय की विजय से होती है
मानवता की पहचान
हम हैं मानव
करें मानवता को महान
करें मानवता को महान

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है रमजान प्रेम-मुहब्बत का महीना

प्रेम है बहुत महान

मंथन : विजया दशमी और मांसाहार भोजन

मांसाहार भोजन : उचित या अनुचित

शाकाहारी भोजन : शंका समाधान

वह बकरा ने आपको क्या किया था?

चमड़ा से निर्मित वस्तु का उपयोग कहाँ तक उचित है?

मुर्ख मनुष्य

बकरे की जुबान


Tuesday, September 15, 2009

क्यों खफा हो मुझसे

क्यों खफा हो मुझसे यह तो बता
क्यों चुप हो यह तो बता
तुम्हारी चुप्पी मेरे दिल में यों चुभती है
जिसका वर्णन मैं कर सकता नहीं
फिर भी इस आश के साथ जिन्दा हूँ
कि तुम्हारी चुप्पी टूटेगी और
एक दिन तुम मेरे साथ दोगे
मेरे साथ दोगे व मेरे दर्द सुनोगे
मेरे दर्द सुनोगे व उसे दूर करोगे
मेरे चाह को पूरा करोगे
व मेरे दर्द को दूर करोगे
और यदि तुम ऐसा नहीं करोगे
तो फिर तुमसे मेरी दोस्ती किस काम की
तुमसे मेरी दोस्ती किस काम की
जब मेरे दुःख में साथ ही न दो
पर फिर भी इसी आश के साथ हूँ
कि तुम मेरा साथ दोगे
व मेरी सहायता करोगे


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महेश कुमार वर्मा
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