आज विजया दशमी का पर्व है। इसी दिन लोग दशहरा पर्व का समापन भी करते हैं। कहा जाता है कि दस सिरों वाला रावण इसी दिन हारा था यानि भगवान राम के हाथों मारा गया था। और इसी के यादगार में लोग इस दिन रावण का पुतला जलाते हैं और खुशियाँ मानते हैं। पर लोग यह भूल जाते हैं कि रावण बहुत ही बड़ा विद्वान था। रावण के मरते वक्त खुद भगवान राम ने भी विद्वान रावण के पास शिक्षा ग्रहण करने गए थे। क्या राम रावण के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाकर गलती किए? क्या भगवान राम के इस कार्य से हमें सिख नहीं लेनी चाहिए? .......... निःसंदेह हमें भगवान राम के इस कार्य से सिख लेनी चाहिए। आखिर भगवान राम के इस कार्य से हमें क्या सिख मिलती है? इस घटना से हमें यही सिख मिलती है कि शत्रु के भी अच्छे गुणों को ग्रहण करें. रावण बहुत ही बड़ा विद्वान व पंडित था। भले ही किसी एक घटना के कारण वह भगवान राम के हाथों मारा गया। पर उसकी विद्वता को इंकार नहीं किया जा सकता है। और इसी कारण ही भगवान राम भी उनके पास शिक्षा ग्रहण करने गए। हमें किसी के जीवन से उसके बुराई को छोड़कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए। अतः हमें भी विजया दशमी का यह पर्व भी इसी लक्ष्य को रखकर मनाना चाहिए। पर हम करते क्या हैं। सिर्फ रावण का पुतला जलाने का ही रश्म मानते हैं। और कोई अच्छाई को ग्रहण करने का कार्य नहीं करते है। विजया दशमी के दिन बेवजह के बेकसूर जीव को मारकर उसके मांस खाकर अपना पेट भरते हैं। क्या भगवान राम ने ऐसा किया था? नहीं न? तब हम ऐसा क्यों करते है? और यदि सिर्फ रावण के पुतला को जलाकर ही विजया दशमी का पर्व मनाना है तो जरा सोचें कि रावण को तो राम ने मारा था पर यहाँ राम है कहाँ जो रावण को मारेगा? जब आप राम के तरह नहीं हैं तो आपको रावण का पुतला जलाकर रावण की निंदा कर विजया दशमी का पर्व मानाने का अधिकार कैसे हैं?
विजया दशमी का पर्व मनाओ पर पहले राम बनो तब रावण को मारना।