जी हाँ, बिहार पुलिस की स्थिति भिखारी से भी बदतर हो चुकी है और यदि सरकार इस ओर ध्यान नहीं देगी तो शायद आने वाले दिनों में ये भूखे पुलिस इतने खूंखार बन सकते हैं की आने वाले दिनों में ये बेकसूर लोगों को मारकर भी अपना पेट भरने से नहीं चुकेंगे. यह कोई मजाक नहीं बल्कि हमारे ही आसपास के पुलिस के हालात पर कही जा रही है. हमारे पुलिस इतने भूखे हैं की हर रोज रात में उन्हें अपने पेट भरने के लिए सब्जी मंडी में झोला लेकर दुकानदारों से मांगते देखा जाता है. इसे भीख माँगना कहा जाए तो गलत नहीं होगा. ............... आखिर वह क्या करे? पेट का सवाल है. भगवान ने उन्हें भी पेट दे रखा है. अतः जिन्दा रहने के लिए उसे अपना पेट भरना भी तो जरुरी है. सड़क पर कटोरी लेकर भिखारी मांगता है, वह भी तो अपने पेट भरने के लिए ही मांगता है. पर सड़क के भिखारी से ज्यादा भूखा हमारे थाना पर के पुलिस हैं. भिखारी तो एक सीमा में रहकर ही भीख मांगता है पर हमारे पुलिस इतने ज्यादा भूखे होते हैं की सब्जी मंडी में दुकानदारों से मांगने के दौरान यदि कभी कोई दुकानदार उसे नहीं देता है तो वह भूखा पुलिस उस दुकानदार को दो-चार बात तो सुनाता ही है और साथ ही जबरन उसका सब्जी उठाकर अपने झोला में रख लेता है. यदि दुकानदार इसपर आपत्ति करता है तो वह भूखा सिपाही (पुलिस) दुकानदार के साथ मारपीट पर उतारू हो जाता है. ........... सड़क पर के भिखारी को यदि कोई कुछ नहीं देता है तो वह कितना भी भूखा क्यों न रहे पर वह एक सीमा में रहकर ही भीख मांगता है तथा न तो कभी जबरन कुछ लेता है तथा न तो मारपीट पर ही उतारू होता है. ......... पर हमारे पुलिस को देखिये. इन्हें भीख में यदि कोई कुछ नहीं देता है तो ये जबरन ले लेते हैं और मारपीट पर भी उतारू हो जाते हैं. ....... स्पष्ट है की पुलिस की स्थिति भिखारी से भी बदतर हो चुकी है. ....... पुलिस को नाजायज तरीके से सब्जी मंडी में सब्जी वसूलते, ट्रेन में सामान ले जा रहे यात्रियों से पैसा वसूलते व अन्य कई स्थानों पर भी पैसा वसूलते प्रायः देखा जाता है. .............. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए तथा पुलिस को सही ढंग से खाने-पिने व रहने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उन्हें किसी के सामने भीख न माँगना पड़े. .......
और यदि उनकी स्थिति ऐसी नहीं है की उन्हें माँगना पड़े तब वे क्यों बिना मतलब के लोगों को परेशान करते हैं?
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(वास्तविक हालात पर आधारित)