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Justice For Mahesh Kumar Verma

Sunday, September 9, 2012

मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद

 मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद


मेरा कष्ट बढ़ाकर तुमको आता है आनंद 
मुझे छटपटाता देखकर तेरा पुलकित होता मन 
दिल तड़पाकर क्या चाहते हो 
दिल दुखाकर क्या चाहते हो  
मुझको रुलाकर क्या चाहते हो 
क्या चाहते हो 
क्या चाहते हो 
खुलके बोलो स्पष्ट बोलो 
चुप क्यों हो मुँह तो खोलो 
क्या चाहिए कह भी दो ना 
जो भी चाहिए स्पष्ट बोलो 
मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद 
मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद 


-- महेश कुमार वर्मा 

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