मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद
मेरा कष्ट बढ़ाकर तुमको आता है आनंद
मुझे छटपटाता देखकर तेरा पुलकित होता मन
दिल तड़पाकर क्या चाहते हो
दिल दुखाकर क्या चाहते हो
मुझको रुलाकर क्या चाहते हो
क्या चाहते हो
क्या चाहते हो
खुलके बोलो स्पष्ट बोलो
चुप क्यों हो मुँह तो खोलो
क्या चाहिए कह भी दो ना
जो भी चाहिए स्पष्ट बोलो
मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद
मेरा कष्ट बढ़ाकर क्यों होते हो आनंद
-- महेश कुमार वर्मा