कोई भी व्यक्ति यों ही अपराधी नहीं बन जाता है या यों ही अपराध नहीं कर बैठता है या कोई भी व्यक्ति यों ही आत्महत्या नहीं करता है बल्कि कोई मानसिक प्रताड़ना से या कोई अन्य कारण से वह इतना टूट जाता है कि उसे अपने मामला में आगे बढ़ने के लिए कोई रास्ता नहीं रह जाता है, कोई उसका साथ देने वाला या सुनने वाला नहीं रह जाता है तो अपने ऊपर किये जा रहे अन्याय से उबकर परिस्थितिवश वह या तो अपराध कर बैठता या अपराधी बन जाता है या तो फिर आत्महत्या कर लेता है ।................
वास्तव में कितने लोगों को आज न्याय पाना तो दूर कि बात उन्हें न्याय मांगने का भी अधिकार नहीं है और यदि वह न्याय कि मांग किया तो उसके साथ और भी ज्यादा अन्याय होने लगता है । .............और उसके साथ अन्याय जब चरम-सीमा पर पहुंच जाती है, उसके साथ मानसिक प्रताड़ना इतनी अधिक हो जाती है कि ऐसी स्थिति में कभी-कभी पीड़ित विवश होकर हथियार उठा लेता है या फिर ऐसी ही स्थिति में कभी-कभी पीड़ित या तो आत्महत्या कर लेता है या फिर अपराधी बन जाता है या फिर मानसिक प्रताड़ना से जूझकर पागल हो जाता है । ................
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पाठक कृपया इस विषय पर अपना निष्पक्ष विचार दें ।
2 comments:
आपने सही लिखा है....पर अगर मन को मजबूत बना लो , तो आप वह काम कर ही नहीं सकते , जो आप नहीं करना चाहते.....फिर आप वही करते हैं जो आपको पसंद है या करना है।
उपरोक्त पोस्ट से पूर्णता सहमत हूँ. यह बिलकुल हकीकत है.
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