समाज विकास तब होगी।
जब मुझमें मानवता आएगी॥
समाज विकास तब होगी।
जब मुझमें सच्चरित्रता आएगी॥
समाज विकास तब होगी।
जब मुझमें ईमानदारिता आएगी॥
समाज विकास तब होगी।
जब मुझमें निष्पक्षता आएगी॥
जब आएगी मुझमें मानवता
जब आएगी मुझमें ईमानदारिता
तब होगी हमारी अपनी सत्ता
तब होगी हमारी अपनी सत्ता
तब नहीं कोई भ्रष्ट होगा
तब नहीं कोई बेईमान होगा
तब नहीं कहीं अन्याय होगा
तब नहीं कहीं अत्याचार होगा
तब नहीं किसी से शिकवा होगा
सभी जगह प्रेम व करुणा होगा
आपस में भाईचारा होगा
स्वच्छ व सुंदर समाज होगा
तब अपना समाज महान होगा
तब अपना समाज महान होगा
रचनाकार : महेश कुमार वर्मा
2 comments:
आप का सपना सारी दुनिया का सपना है। समाज विकास तो अनवरत प्रक्रिया है। वह प्राकृतिक नियमों के अनुसार सदैव जारी रहती है। हम केवल उसे तेज या धीमा करते हैं।
आप तो यह सोचिए कि कैसे उसे तेज किया जा सकता है?
प्रभावी एवं विचारणीय!!
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