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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Sunday, November 30, 2008

क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया

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क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया


मेरे बेटों की नजरों में मैं बुढ़ा हो गया
उनकी नजरों में मैं बेकार हो गया
अब नहीं मैं उनके किसी काम का
क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया
इसीलिए तो उसने मुझे घर से निकाला
क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया।
क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया॥

उनकी नजरों में
मुझे निकालकर
वे चैन से रह पाएँगे
आराम से सो पाएँगे
नहीं होगा तब
कोई उनके ऊपर
अपना मालिक
ख़ुद वे ही रहेंगे
न कोई बोलने वाला रहेगा
न कोई टोकने वाला रहेगा
जो मर्जी होगा
अपनी इच्छा से करेगा
कुछ नहीं तो कम-से-कम
बुढे बाप के सेवा से तो छुटकारा मिलेगा
बस इसीलिए उसने मुझे निकाला।
बस इसीलिए उसने मुझे निकाला॥

पर, ऐ दुष्ट पुत्र!
क्या तुमने कभी ये है सोचा
कि किसने तुझे उंगली पकड़कर
चलना है सिखाया
क्या तुमने कभी ये है सोचा
कि तुम्हारे जन्म के बाद
किसने तुम्हारी परवरिश की
कि किसके कारण आज तुम पढ़-लिख कर
बड़ा होकर गौरवान्वित महसूस करते हो
क्या तुमने कभी ये है सोचा
कि किसके गोद में तुम घूमते थे
और किस प्रकार तुमने
एक-एक शब्द करके बोलना सीखा।

तुम्हारे यही बाप ने
तुम्हें बोलना सीखाया
तुम्हें चलना सीखाया
तुम्हें पाल-पोष कर बड़ा किया
व मेरे ही कारण
तुम पढ़-लिखकर
आज अपने पैरों पर खड़ा हो।
पर आज तुम मुझे ही भूल गया
और मुझे घर से निकल दिया
क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया।

आज मैं तुम्हारे कोई काम का नहीं
आज तुम्हारे लिए सिर्फ
तुम्हारी बीवी व बच्चे हैं
अपने बीवी के कारण तुम
अपने माँ-बाप को भूल गया
और हमें घर से निकाला
क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया।

पर तुम ये कभी मत भूलना
कि एक दिन तुम भी होगा बुढ़ा
और उस समय
तुम्हारा भी शरीर शिथिल पड़ जाएगा
और तुम भी शारीरिक श्रम नहीं कर पाएगा
सोचो उस समय तुम क्या करोगे
कैसे रहोगे
कैसे खाओगे।

सोच बेटा सोच
यह तो है प्रकृति का नियम
कि बच्चा एक दिन जवान होगा
जवानी बुढापा में बदलेगा
और बुढापा के बाद फिर सबको
है परमात्मा के पास जाना
नहीं है किसी को इससे बचना।
नहीं है किसी को इससे बचना॥
यह है प्रकृति का नियम
इसपर न तो मेरा वश है न तुम्हारा
ये हमेशा से चल रहा है
और इसे हमेशा चलते ही है रहना।
इसे हमेशा चलते ही है रहना॥

सोच बेटा सोच
कि मुझे घर से निकालकर
क्या तुम प्रकृति के नियम बदल देगा
और क्या तुम कभी बुढ़ा नहीं होगा
जिस बाप ने तुम्हें जन्म दिया
उसे ही तुम आज घर से निकाला
क्योंकि वह बुढ़ा हो गया।
पर सोच बेटा सोच
एक दिन तुम भी होगा बुढ़ा।
एक दिन तुम भी होगा बुढ़ा॥

घर से निकाला है मुझे जबसे
सोच रहा हूँ मैं तुम्हारे बारे में तबसे
कि कैसे बनेगा मेरा लाल
एक नेक इंसान
कैसे आएगा उसे सद्बुद्धि
और किस प्रकार रहेगा
आगे दुनियाँ में वह
यही सोचकर मेरा
शरीर सुख रहा है
मेरे मन में सिर्फ
तुम्हारा ही ख्याल आ रहा है
कि कैसे बनोगे तुम नेक इंसान।
कैसे बनोगे तुम नेक इंसान॥

तुम हो इंसान
मत बनो हैवान
सबका मालिक है भगवान
पर तुम अपनी मानवता को पहचान
और बनो एक नेक इंसान।
बनो एक नेक इंसान॥
मेरी तो यही ख्वाहिश है बेटा
मेरी तो यही ख्वाहिश है बेटा
पर तुमने मुझे घर से निकाला
क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया।
क्योंकि मैं बुढ़ा हो गया॥

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रचयिता :
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महेश कुमार वर्मा
DTDC कुरियर ऑफिस,
सत्यनारायण मार्केट,
मारुती (कारलो) शो रूम के सामने,
बोरिंग रोड, पटना (बिहार),
पिन : 800001 (भारत);
Webpage : http://popularindia.blogspot.com/
E-mail ID : vermamahesh7@gmail.com
Contact No. : +919955239846

1 comment:

Anonymous said...

कुछ दिनों पहले मैंने भी एक पोस्ट लिखी थी बुजुर्गों के ऊपर.. पढ़ें शायद आपको पसंद आए.. हे बुजुर्गों, अपने आप को मत कोसो

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