दिल की आवाज़ में आपका स्वागत है। यहाँ आप विभिन्न विषयों पर महेश कुमार वर्मा के स्वतंत्र विचार, तर्क व रचनाएँ देख व पढ़ सकते हैं। आपके स्वतंत्र व निष्पक्ष सुझाव व विचारों का स्वागत है। E-mail ID : vermamahesh7@gmail.com
Justice For Mahesh Kumar Verma
Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....
Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015
Tuesday, November 2, 2010
दीपावली की शुभकामनाएं : Happy Diwali
Sunday, October 24, 2010
जब दुःख की बदली छाती है
Friday, September 24, 2010
हम हिन्दू-मुस्लिम नहीं, हम मानव हैं
पर जाति और धर्म की लड़ाई हमने खुद है पाला
हिन्दू हों या मुस्लिम हों
हम सभी हैं मानव
मानव मेरी जाति
सत्य व मानवता मेरा धर्म
क्यों लड़ें हम धर्म व जाति के नाम पर
रमजान (RAMJAN) के प्रारंभ में है राम (RAM)
दिवाली (DIWALI) अंत में है अली (ALI)
तो फिर हम कैसे दो हुए?
हम दो नहीं हम एक हैं
हम हिन्दू-मुस्लिम नहीं
हम मानव हैं
हम इंसान हैं
सत्य व मानवता मेरा धर्म
इंसानियत मेरा फर्ज
हम दो नहीं हम एक हैं
हम मानव हैं
हम मानव हैं
Tuesday, September 14, 2010
कौन है जिम्मेवार?
Friday, September 10, 2010
ज्ञान निकेतन, पटना का रजत जयंती समारोह : Silver Jubilee Celebrations of Gyan Niketan, Patna
Saturday, August 14, 2010
स्वतंत्रता की ६३वीं वर्षगाँठ
इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपके लिए दो पंक्ति:
उस भारत माँ को सलाम
जिसने हमें जन्म दिया
उस भारत माँ को सलाम
जिसने हमें पाला-पोषा
उस भारत माँ को सलाम
जिसने हमें गलत व अन्याय के विरुद्ध बोलने की साहस दिया
पर उस भारतीय व्यवस्था को है धिक्कार
जिसने हमें गलत व अन्याय के विरुद्ध बोलने व न्याय पाने के अधिकार से वंचित किया
तो फिर क्यों मनाऊं मैं स्वतंत्रता दिवस??
Monday, July 19, 2010
मैं और पिताजी की बरसी
Sunday, May 16, 2010
जाति आधारित व्यवस्था : देश के लिए खतरा
Thursday, March 25, 2010
पतन की ओर हिन्दी भाषा
बिहार कितनी प्रगति की है और कितनी प्रगति कर रही है यह तो अलग बात है पर इस पूरे कार्यक्रम से एक बात तो स्पष्ट है कि बिहार में बिहार की राजभाषा हिन्दी पतन की ओर जा रहा है. उल्लेखनीय है कि पूरे कार्यक्रम में वक्ता के भाषण को छोड़कर उदघोषक के द्वारा जो भी घोषणाएं की गयी या जो भी कहा गया उसमें एक पंक्ति भी हिन्दी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया. पूरा का पूरा उदघोषणा भोजपुरी भाषा में की गयी. प्राप्त जानकारी के अनुसार तीनों दिन के कार्यक्रम में मुख्य मंच के कार्यक्रम में यही स्थिति थी और हिन्दी भाषा नदारद थी. बिहार के स्थापना दिवस पर बिहार सरकार द्वारा मनाया जाने वाला इस बिहार दिवस के मुख्य कार्यक्रम के होने वाली घोषणाओं में बिहार के राजभाषा हिन्दी को स्थान न देने के पीछे सरकार की क्या सोच थी पता नहीं? बिहार दिवस में बिहार के राजभाषा हिन्दी को स्थान न देना बिहार के लिए कलंक की ही बात है. मैं बिहार सरकार से जानना चाहूँगा कि बिहार दिवस में बिहार के राजभाषा हिन्दी को स्थान न दिए जाने के पीछे आखिर उनकी क्या सोच थी? क्या बिहार की राजभाषा हिन्दी की मौत हो गयी है?
Sunday, March 14, 2010
Is the Government Blind? क्या सरकार अंधी है?
It is not necessary that luxuries and attitude of people will improve, however improvement our country achieves. Now a days science is developing so much whereas there are many illiterate people. The largest number of illiterates is in India as per one report. There are numerous children seen in the hotels, restaurants, at the stations, in the market and on footpath to earn their livelihood or sell something. These children get opportunity neither to play nor to study. Not only this, these children are also engaged in selling items of narcotics like tobacco, pan parag, etc. on which the slogan is printed "Not for minor" at public places like trains, stations etc. where its uses ar banned.
Wednesday, March 3, 2010
Great India is not great : महान भारत महान नहीं है
Saturday, February 27, 2010
होली प्रेम पूर्वक मनाएं
होली आपसी प्रेम व भाईचारा का प्रेम है। अतः यह ख्याल रखें कि इस पर्व में आपसी प्रेम बनाएं रखें तथा किसी के भी साथ जोर-जबरदस्ती नहीं करें। जो न चाहे उसे जबरन रंग-गुलाल न लगायें। किसी के साथ अभद्र व्यवहार न करें तथा होली को प्रेम के साथ ही मनाएं।
Friday, February 26, 2010
महिला आरक्षण क्यों?
Saturday, February 13, 2010
RSBY के स्मार्ट कार्ड बनाने में अनियमितता
इसे बताने से पहले मैं बता दूँ कि स्मार्ट कार्ड बनने के बाद उसे activate करने का अधिकार FKO (हिंदी में शायद ग्राम-सचिव या पंचायत सचिव कहते हैं) को है। कार्ड activation करने की प्रक्रिया है कि FKO का अंगूठा का निशान एक खास स्कैनर से ले लिया जायेगा। फिर हरेक कार्ड को activate करने के लिए कार्ड को card reader में डालकर FKO स्कैनर पर अपना अंगूठा रखेगा। कंप्यूटर पूर्व में दिए गए अंगूठा के निशान से इस अंगूठा को मिलाएगा। यदि अंगूठा सही पाया गया तब तो आगे वह कार्ड activate होगा अन्यथा वह card activate नहीं होगा। हरेक कार्ड को activate करने के लिए बारी-बारी से कार्ड को card reader में डालकर अंगूठा का निशान स्कैनर पर देना पड़ता है जिसे कंप्यूटर पूर्व में दिए गए निशान से मिलाता है।
Friday, February 12, 2010
BPL परिवार के रिकॉर्ड में गलत आंकड़ा
बिहार में BPL परिवार के लिए जो सर्वेक्षण किया गया है यदि उस सर्वेक्षण के नतीजे को सही मानें तो आप पायेंगे कि :
- दो-तीन माह के बच्चा या एक-दो वर्ष के बच्चा भी मजदूरी करता है।
- किसी के पत्नी के लिंग पुरुष भी है तो किसी के पति के लिंग स्त्री भी है। उसी तरह किसी के पुत्र का लिंग स्त्री व पुत्री का लिंग पुरुष भी है।
- यह भी मिलेगा कि किसी के एक से अधिक पिता हैं।
- पिता का उम्र कम व पुत्र का उम्र अधिक भी मिलेगा।
- किसी व्यक्ति के नाम कई परिवार के सूचि में दर्ज है।
मेरा नाम तो BPL परिवार में नहीं है और न ही मुझे RSBY का स्मार्ट कार्ड ही मिला है पर फिर भी मुझे यह बात इसीलिए मालूम है क्योंकि पारिवारिक सर्वेक्षण के रिपोर्ट को कंप्यूटर में एंट्री करने व RSBY का स्मार्ट कार्ड बनाने का कार्य मैं भी किया हूँ। सरकार को अपने कार्य में इन सब खामियों पर ध्यान देना चाहिए तथा सर्वेक्षण के कार्य में वैसे ही व्यक्ति को भेजना चाहिए जो जानकार हो। अन्यथा यही होगा कि पुत्र का लिंग स्त्री व पुत्री का लिंग पुरुष ही दर्ज होगा। अब आप सोचें कि इस रिकॉर्ड के आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यक्रम में डॉक्टर उसका क्या ईलाज करेगा? क्या डॉक्टर लिंग परिवर्तित देखकर उसे गलत व्यक्ति घोषित कर ईलाज करने से इंकार कर देगा? .............
आपको ऐसे कितने परिवार मिलेंगे जिनको वास्तव में BPL के लिस्ट में नहीं आना चाहिए पर उनका नाम BPL के लिस्ट में है और वे उसका लाभ ले रहे हैं। ..............
जो भी हो पर इस तरह से कार्य होगी तो ये सब गलती में सुधार कभी नहीं होगी क्योंकि सरकार का सभी कार्य ठेका पर ही रहता है। सर्वेक्षण का कार्य भी किसी अन्य कंपनी को दिया जाता है और फिर वह जैसे-तैसे कार्य को सम्पन्न कर सिर्फ अपना ही पैसा बनाते हैं।
Thursday, February 11, 2010
सच्चाई का खुलासा : मतदाता सूचि में सुधार नहीं होगा
चूँकि मतदाता सूचि व मतदाता पहचान पत्र का कार्य मैं भी किया हूँ अतः मुझे उपरोक्त प्रश्न का सही जवाब मालुम हैऔर आज मैं यह खुलासा कर रहा हूँ कि किस प्रकार मतदाता सूचि व मतदाता पहचान पत्र का कार्य होता है जिस कारण सुधार नहीं हो पाता है और सरकार का सभी पैसा पानी के तरह बह जाता है।
चुनाव आयोग मतदाता सूचि व मतदाता पहचान पत्र बनाने का कार्य ठेका पर (Contract basis पर) किसी प्राइवेटकंपनी को दे देती है। बिहार का कार्य सामान्यतः कोलकाता के किसी कंपनी को दिया जाता है। और फिर वह कंपनी पटना में विभिन्न स्थानों पर व पटना से बाहर भी खुद या किसी अन्य को contract basis पर कार्य देकर कार्य कराती है। कार्य करने के लिए वे local (स्थानीय) ओपेरटर रखते हैं। पर ओपेरटर को वे कार्य का पूरा बोझ दिए रहते है। वे ओपेरटर को टार्गेट दे देते हैं कि इतना कार्य करना है। और फिर इस स्थिति में ओपेरटर क्या करेगा? वे सुधार कार्य में समय बिताना छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। और इस प्रकार गलती, जहाँ सुधार करनी थी वह ज्यों का त्यों बना ही रहता है। आप कहेंगे कि ओपेरटर को तो इस प्रकार नहीं करना चाहिए। क्यों? आपका कहना तो ठीक हो सकता है पर मैं यहाँ यह भी बता दूँ कि ओपेरटर पर कार्य का काफी दबाव बना रहता है कि इतना कार्य करके इस टार्गेट को पूरा करना ही है। कितने जगह तो ओपेरटर को यह भी निर्देश दे दिया जाता है कि सुधार करने में समय मत बिताओ बल्कि कंप्यूटर पर सिर्फ वह डाटा खोलकर आगे बढ़ जाओ वह डाटा सुधार किया हुआ डाटा में गिनती कर लिया जायेगा। और ओपेरटर यही करते है तथा गलती में वास्तविक सुधार नहीं होता है जबकि सिस्टम में उसे सुधार किया गया डाटा में गिन लिया जाता है। आपको मैं यह भी बता दूँ कि कोलकाता के एक कंपनी Netware Computer Services ने मुझे इसीलिए काम पर से हटा दिया था क्योंकि गलती को बिना सुधारे आगे बढ़ने के उसके बात को मेरे द्वारा नहीं मानने के कारण मैं उसका टार्गेट पूरा नहीं कर पाता था। .............
किसी भी व्यक्ति को मेरे इस सच्चाई का खुलासा करने पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। पर सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और यों ही पानी के तरह पैसा नहीं बहाना चाहिए। बल्कि कार्य में कहाँ त्रुटी है उसे खोजकर उसमें सुधार करना चाहिए।
Saturday, January 30, 2010
परीक्षा में कदाचार के लिए जिम्मेवार कौन
Friday, January 29, 2010
ऐसे शिक्षक क्या पढ़ायेंगे?
तो इस प्रकार हुयी है व हो रही है शिक्षकों की बहाली और ऐसी है हमारी शिक्षा नीति। आप खुद सोच सकते हैं कि ऐसे शिक्षकों के भरोसे बच्चों का कितना विकास होगा? मेरे इस बात से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए कि बिहार में शिक्षकों की इस प्रकार के बहाली से लोगों को शिक्षक शब्द से ही शिक्षक के प्रति जो आदर व सम्मान की भावना थी वह अब नहीं रही। सच पूछिये तो शिक्षकों का कार्य अब अपने ज्ञान से सेवा भाव से बच्चों को सही राह पर लाकर विकास करना नहीं रहा बल्कि उनका कार्य अब सिर्फ बैठे-बैठे पैसा कमाना हो गया है।
शिक्षक = मास्टर = मास + टर
(यानी पढावें या न पढावें बस किसी तरह मास यानी महीना टरेगा यानी बीतेगा और पैसा मिलेगा)
..............
आप खुद सोचें कि इस प्रकार की व्यवस्था से देश का विकास होगा या देश का पतन होगा?
Thursday, January 28, 2010
आरक्षण नीति : उचित या अनुचित
Wednesday, January 27, 2010
जाति के आधार पर समाज को बांटने में सरकार कितनी दोषी
Tuesday, January 26, 2010
देश से अपराध भगाना है, खुशहाल जीवन लाना है।
आज राष्ट्र 61 वाँ गणतंत्र दिवस मना रहा है। भारत को स्वतंत्र हुए 62 वर्ष व गणतंत्र हुए 60 वर्ष हो गए। पर इतने अवधि में हमने क्या पाया? क्या देश के आम नागरिकों को देश के विकाश का वास्तविक फायदा मिल पाया है? इस बात पर विचारने पर हम पाते हैं कि कहने के लिए देश कितनी भी प्रगति क्यों न कर लिया हो पर आम लोगों के जीवन में इस प्रगति का कोई फायदा नहीं है। आज देखें हरेक जगह बेईमानी व भ्रष्टाचार फैला है और इसका सीधा असर आम जन पर पड़ रहा है। पर इस प्रकार के स्थिति के लिए जिम्मेवार कौन है? इसके लिए जिम्मेवार देश के बाहर के कोई दुश्मन नहीं बल्कि देश में ही रहने वाले हम व आप सहित पूरा देश है। और यदि हम अपने देश के अंदरूनी भ्रष्टाचार पर काबू नहीं पाएंगे तो वह दिन दूर नहीं जब हम पुनः अपने देश के अंदर के ही दुश्मन के गुलाम बन जाएंगे। हमें जागना होगा व देश के दुश्मन को भगाना होगा और इसके लिए हम सबों को साथ मिलकर चलना होगा। तो आएं अपने देश के अंदर फैले अपराध, बेईमानी व भ्रष्टाचार को समाप्त कर व देश में मानवता व सच्चाई-ईमानदारिता के धर्म की स्थापना कर देश को अपराध मुक्त व खुशहाल बनाने में अपना सहयोग करें।
देश से अपराध भगाना है।
खुशहाल जीवन लाना है॥
जय हिंद।
जय भारत॥
Sunday, January 24, 2010
क्यों न करूँ मैं गणतंत्र दिवस का बहिष्कार
सोचने पर हमने है विचारा
है नहीं यहाँ बच्चों को पढने का अधिकार
है नहीं बच्चों को खेलने का अधिकार
बच्चे करते हैं होटल में काम
बेचते हैं रेल पर नशा तमाम
देखने वाला नहीं है कोई उसे
फिर हमने देश को गणतंत्र माना कैसे
गणतंत्र दिवस है आया
सोचने पर हमने विचारा
नहीं है यहाँ पीड़ित को न्याय का अधिकार
गुनाहगार घूमता है खुला बाजार
न है न्याय पाने का अधिकार
न है न्याय करने का अधिकार
न है सच बोलने का अधिकार
न है सच पर चलने का अधिकार
देश में फैली है भ्रष्टाचार
हो रही है सबों के साथ बलात्कार
तो फिर क्यों कहते हैं मेरा देश है महान
क्यों मनाऊं मैं गणतंत्र दिवस का त्यौहार
क्यों न करूँ मैं गणतंत्र दिवस का बहिष्कार
क्यों न करूँ मैं गणतंत्र दिवस का बहिष्कार