जब दुःख की बदली छाती है
जब दुःख की बदली छाती है
लोग दूरी बढा लेते हैं
अपना पराया हो जाता है
सच बोलने से वह कतराता है
पर जब होता है उसे अपना काम
तब मीठी-मीठी बातों से
निकालता है अपना काम
क्योंकि दूनियाँ हो गया है स्वार्थी
यहाँ कोई नहीं है हमदर्दी
दूनियाँ हो गया है स्वार्थी
दूनियाँ हो गया है स्वार्थी
-- महेश कुमर वर्मा
Mahesh Kumar Verma
Mobile: +919955239846
5 comments:
दूनियाँ हो गया है स्वार्थी ????
दूनियाँ हो गई है स्वार्थी
यह दुनिया ऎसी ही हे जी, आप की इस सुंदर कविता से सहमत हुं
दुनिया रुकता नहीं
समय रूकती नहीं
स्वार्थी कहीं की ...
achhi rachna..aabhaar.
दिनांक 13/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
ऎसा क्यूँ हो जाता है......हलचल का रविवारीय विशेषांक.....रचनाकार...समीर लाल 'समीर' जी
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