सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पास कर दिया है और अब इसपर बहस होगी। इस विधेयक में लोक सभा व राज्य विधान सभा में महिलाओं को 33% आरक्षण की व्यवस्था है। स्थानीय निकाय के चुनाव में पहले से ही महिलाओं को आरक्षण मिला हुआ है। पर वहाँ महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर चुने गए महिला प्रतिनिधि किस प्रकार कार्य कर रही है इस बात को मैं अपने पोस्ट आरक्षण नीति : उचित या अनुचित में बताया हूँ। मेरे इस पोस्ट से आप जान गए होंगे कि आरक्षण के कारण किस प्रकार अयोग्य को भी मजबूरन अपना प्रतिनिधि के रूप में चुनना पड़ता है। व फिर उस चुने हुए प्रतिनिधि अपने अयोग्यता के कारण खुद कार्य नहीं करते हैं और उनके बदले में कार्य कोई और करता है। और जब ऐसा होता है तो फिर उस आरक्षण का क्या मतलब रहा? यह एक विचारनीय प्रश्न है कि क्या आरक्षण उचित है? कोई किसी कार्य के लिए कमजोर है तो उसे ऊँचा उठाना चाहिए ताकि वह उस खास कार्य के लिए योग्य बन सके और इस प्रकार उसे बिना दिक्कत उस खास कार्य को करने का अधिकार प्राप्त हो सकता है और तब वह अपने कार्य को सही ढंग से कर भी सकेगा? जिस प्रकार पेड़ की डाली को चूमने के लिए हमें ऊँचा उठना होगा, पेड़ की डाली नीचे नहीं आ सकती है। उसी प्रकार कमजोर को ऊँचा उठाएं न कि आरक्षण के माध्यम से अयोग्य को जिम्मेवारी सौंपे।
जहां तक महिला आरक्षण विधेयक का सवाल है मैं महिलाओं का सम्मान करता हूँ पर लोक सभा, विधान सभा या स्थानीय निकाय के चुनाव में किसी भी प्रकार से धर्म, जाति या लिंग के आधार पर आरक्षण का मैं जोरदार विरोध करता हूँ।
मैं किसी भी प्रकार से कमजोर वर्ग को चाहे वह पुरुष हो या महिला स्पष्ट कहना चाहता हूँ कि वे अपने में प्रगति करें व योग्य बनें तब फिर उनके दावेदारी पर लोग खुद उन्हें किसी भी विशेष कार्य की जिम्मेवारी सौंपेंगे। सरकार से मैं कहना चाहता हूँ कि कमजोर को ऊँचा उठाने के लिए सार्थक कदम उठाएं।
-- महेश कुमार वर्मा
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6 comments:
महिला आरक्षण के दम पर महिला सशक्तीकरण का दावा ठोंकना बेमतलब की जिद है।
मैं महिलाओं का सम्मान करता हूँ पर लोक सभा, विधान सभा या स्थानीय निकाय के चुनाव में किसी भी प्रकार से धर्म, जाति या लिंग के आधार पर आरक्षण का मैं जोरदार विरोध करता हूँ।
.....krantidut.blogspot.com
वोट बैंक की चिन्ता कौन करेगा??
वोट बैंक से मेरा तात्पर्य है कि महिलाओं के वोट कबाड़ने की जुगत में आरक्षण घोषित करना...
अर्थात इस आरक्षण का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण न हो कर उसकी आड़ में वोट कबाड़ने की जुगत है.
यही हाल तब भी होता है जब अनुसूचित जाति, जनजाति में कोई जाति विशेष सम्मलित कर वोट कबाड़े जाते हैं.
आरक्षण चाहे जात पात पर हो, धर्म पर हो,या महिला पर यह सब लानत है हमारे देश पर, आरक्षण एक दीमक है जो धीरे धीरे देश को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है, ओर यह मुर्खता सिर्फ़ भारत मै ही होती है, किसी अन्य देश मै नही
महिला आरक्षण विश्व के लगभग 40 देशो मे है |
यदि महिला आरक्षण न होता हो कई लोग बेटी को बोझ समझते |
यदि महिला आरक्षण न होता हो कई लोग बेटी को पड़ाते ही नहीं |
यदि महिला आरक्षण न होता हो कई लोग बेटी को पैरो तले दबा के रखते |
यदि महिला आरक्षण न होता हो कई लोग बेटी को घर से बाहर नहीं निकलने देते |
यदि महिला आरक्षण न होता हो कई लोग बेटी को पैदा ही नहीं होने देते |
क्योकि इस देश के लोगो की सोच छोटी है इसलिए ही महिला आरक्षण यहाँ लागु करना जरुरी था |
तुम लोग तो बस चाहते हो की औरत हमेशा तुम्हारी गुलाम बनकर रहे, और सदा तुम पर ही Dependent रहे |
कोई आश्चर्य नहीं की भारत औरतो के रहने के लिए सबसे बुरी 10 जगह मे से एक है(एक सर्वे के अनुसार)
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