जब दुःख की बदली छाती है
जब दुःख की बदली छाती है
लोग दूरी बढा लेते हैं
अपना पराया हो जाता है
सच बोलने से वह कतराता है
पर जब होता है उसे अपना काम
तब मीठी-मीठी बातों से
निकालता है अपना काम
क्योंकि दूनियाँ हो गया है स्वार्थी
यहाँ कोई नहीं है हमदर्दी
दूनियाँ हो गया है स्वार्थी
दूनियाँ हो गया है स्वार्थी
-- महेश कुमर वर्मा
Mahesh Kumar Verma
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