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Justice For Mahesh Kumar Verma

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Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Friday, March 22, 2019

7 वर्षीय बच्ची की संदेहास्पद मौत पर पुलिस की संदेहास्पद भूमिका

7 वर्षीय बच्ची की संदेहास्पद मौत पर पुलिस की संदेहास्पद भूमिका

कल होली के दिन 21 मार्च 2019 को पटना के मैनपुरा में LCT घाट व रामजानकी मंदिर के बीच कनुआन गली में एक 7 वर्षीय बच्ची की संदेहास्पद मौत हो गई।  इस संदेहास्पद मौत से कई सवाल उठ रहे हैं। घटनास्थल पर पुलिस तो पहुंची पर पुलिस की भूमिका सारी घटना पर और भी संदेह पैदा करने लगी है। आगे मैं इस घटना से संबंधित कई उठने वाले सवाल और पुलिस की भूमिका को सामने कर रहा हूं क्योंकि पुलिस की जो भूमिका रही है उससे आमजन को पुलिस की भूमिका पर से भरोसा उठ जाएगा। इतना ही नहीं पुलिस की इस भूमिका से अपराधियों की संख्या और भी बढ़ेगी यानी कुल मिलाकर पुलिस के कार्य का यह रवैया अपराधियों को और भी अपराध करने में  साहस प्रदान करती है। तो आइये घटना की विस्तृत जानकारी लेते हैं।
मैनपुरा के कनुआन गली में एक 7 वर्ष की लड़की की संदेहास्पद मौत हुई। लड़की को उसी के घर में मृत पाया गया। लड़की को किस अवस्था में मृत पाया गया इस संबंध में अलग-अलग बात आम लोगों के सामने आ रही है।  एक तरफ यह बात सामने आ रही है कि घर की मच्छरदानी से या मच्छरदानी के रस्सी से लिपट कर बच्ची खुद मर गई। वहीं दूसरी तरफ यह बात सामने आ रही है कि लड़की का शव कमरा में दरवाजा और दीवार के बीच में खड़ी हुई पाई गई और उसके गले में गमछा लपेटा हुआ था। इस दोनों स्थिति में लाश के पाए जाने की स्थिति अलग-अलग है। आम जनता के पास जो समाचार आयी है उससे यही कहा जा रहा है कि लड़की खुद फांसी लगाकर मरी है।  अब सवाल यह उठता है क्या 7 वर्ष की लड़की खुद फांसी लगाकर मर सकती है? अब सवाल उठता है कि यदि किसी भी तरह या खुद लड़की गले में रस्सी या गमछा लगाकर खुद मरना चाहे तो यह बात स्पष्ट है गला पर दबाव बढ़ने के बाद दर्द व दबाव के कारण लड़की के हाथ से दबाव हट जाता और फिर वह मरती नहीं बल्कि बच जाती क्योंकि वह टंगी हुयी नहीं थी। पर लड़की को मृत पाया गया। यह भी कहा जा रहा है कि फाँसी लगाकर मरने से शव के गले पर रस्सी का दाग रहता पर इसके गले पर रस्सी का दाग नहीं था। अतः मरने का कारण फाँसी नहीं बल्कि कुछ और है। इस प्रकार यह बात गले से नीचे नहीं उतर रही है कि 7 वर्ष की लड़की ने खुद मच्छरदानी या गमछा से  खुद फाँसी लगाकर मरी हो!
खैर जिस स्थिति में भी शव मिला हो व मौत जिस कारण से भी हुयी हो पर घटनास्थल पर पुलिस आयी। अब पुलिस को घर के किसी लोग या अन्य किसी लोगों ने बुलाया या पुलिस खुद किसी तरह समाचार मिलने पर पहुँची, जो भी हो। पर इस प्रकार की संदेहास्पद मौत होने पर पुलिस का कर्तव्य होता है कि घटना की सही जाँच करे व मौत का सही कारण का पता करे और इस जाँच के लिए पुलिस का यही कर्तव्य होता है कि शव का पोस्टमार्टम कराये।  पर पुलिस ने क्या की? पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम या घटना के संबंध में जाँच जैसी कोई काम नहीं की। हाँ, ऐसी बात नहीं है कि पुलिस ने घटना की प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार किया है बल्कि यह बात सामने आ रही है कि खुद घरवाले शव का पोस्टमार्टम होने नहीं दिए और प्राथमिकी भी दर्ज नहीं होने दिए। इस संबंध में जो भी कहा जा रहा है उस अनुसार पुलिस को पैसे-वगैरह देकर केस का एंट्री नहीं होने दिया गया। अब सवाल है कि क्या इस प्रकार के संदेहास्पद मौत के स्थिति में यदि घरवाले प्राथमिकी दर्ज कराना नहीं चाहते हैं तो क्या पुलिस को खुद प्राथमिकी दर्ज कर जाँच नहीं करनी चाहिए? ऐसी स्थिति में पुलिस को खुद ही प्राथमिकी दर्ज कर उचित जाँच कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए थी। पर पुलिस ने ऐसा नहीं किया।
इन सारे संदेहास्पद स्थिति के बीच लोगों में यह बात चर्चा में है कि लड़की के साथ किसी ने दुष्कर्म किया व उसके बाद उसे मार दिया और घरवाले लोक-लज्जा के कारण शव का पोस्टमार्टम होने नहीं दिए व पुलिस में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने दिए। अब यदि यह बात सच है तो चर्चा में यह बात है कि घर वाले ऐसा करके अपराधियों का साहस और भी बढ़ा रहे हैं क्योंकि अगर अपराधियों पर कार्रवाई नहीं होती है तो अब उनको अपराध करने में और बल ही मिलेगा। इन सारे घटनाक्रमों के बाद आम जनता को इन सारी बातों की सच्चाई की जानकारी होनी चाहिए वरना आम जनता को पुलिस पर से पूर्ण रूप से विश्वास उठ जाएगा क्योंकि आमजन तो यही देख रहे हैं कि पुलिस आई और न तो प्राथमिकी ही दर्ज हुयी व न तो शव का पोस्टमार्टम ही हुआ। आखिर इन सारे सवालों का जवाब तक तक अनसुलझा ही रह जाएगा जब तक कि जाँच  नहीं होती है।
(यहाँ दी गयी घटना की जानकारी कुछ स्थानीय लोगों से प्राप्त अपुष्ट खबरों  के अनुसार है।)
-महेश कुमार वर्मा
22.03.2019

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