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Justice For Mahesh Kumar Verma

Sunday, December 30, 2012

महिला हूँ तो क्या हुआ

 महिला हूँ तो क्या हुआ



महिला हूँ तो क्या हुआ
मैं भी मानव हूँ
 मुझमें भी दिल व दिमाग है
मुझमें भी साहस व शक्ति है
 अब तक सहती रही
बहुत सही अत्याचार
 पर अब न सहूंगी
 अब न सहूंगी



-- महेश कुमार वर्मा 

मुझे जन्म ही लेने क्यों दिया


 मुझे जन्म ही लेने क्यों दिया



आज उस समय मेरे आँखों में आंसू आ गए जब मैंने देखा की लडकियां असुरक्षा के कारण खुद को गर्भ में ही मार देने की बात उठाई। जी हाँ, 16.12.2012 के दिल्ली के सामूहिक दुष्कर्म और फिर पीड़िता की मौत को लेकर पटना के कारगिल चौक पर लोग शोक में मौन रखे। साथ ही न्याय के लिए नारा लगा रहे थे जिसमें लड़के-लड़कियों के हाथ में विभिन्न नारा लिखे पोस्टर थे जिसमें एक पर लिखा था - "KILL ME IN THE WOMB IF YOU CAN'T PROTECT".

बिडंबना है कि एक और लोग कन्या भ्रूण हत्या रोकने की बात करते हैं वहीं दूसरी और असुरक्षा के कारण लडकियां यह कहने को मजबूर है कि यदि उनकी सुरक्षा नहीं हो सकती है तो उसे गर्भ में ही मार दिया जाए। सोचें, उनका कहना भी सही है। हमें बदलाव लाना होगा। लड़की व महिला को सुरक्षा देना होगा। मानते हैं कि बलात्कार जैसी घटना बलात्कारी के गलत मानसिकता का प्रभाव है पर ऐसी घटना रुकने का नाम नहीं ले रही है तो ऐसे में लड़कियां यह सवाल उठाएगी ही कि क्या उसकी यही गलती है कि वह लड़की है? यदि उसकी यही गलती है और इस कारण उसे सुरक्षा नहीं मिलेगा तो उसे जन्म ही क्यों लेने दिया गया?

हमें हरेक परिस्थिति पर विचारना होगा। यह बात भी सही है कि हमारे समाज में जो बाल-विवाह हो रहे हैं उसके कारण में अन्य कारणों के अलावा एक कारण यह भी है कि सयानी कुवांरी लड़की सुरक्षित नहीं है और इसी कारण माँ-बाप जल्द ही शादी कर उसे ससुराल भेज देना चाहते हैं।

-- महेश कुमार वर्मा
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