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थे कभी गरीब इंसान।
नेता बने हुये धनवान॥
छोटा सा घर महल में बदला।
घुमने के लिए कार आया॥
भूल गए जन हित की बातें।
पर अवैध वसूली कभी न भूलते॥
क्षेत्र विकास के पैसे अपने घर में हैं लगाते।
गरीब जनता को और भी अधिक हैं सताते॥
बने हैं नेता जबसे।
पैसे ही पहचानते तबसे॥
नहीं पहचानते और किसी को।
छोड़ राजनीति कुछ न आता उनको॥
थे कभी गरीब इंसान।
आज है उनकी अलग पहचान॥
नेता बने हुये धनवान।
नेता बने हुये धनवान॥
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नेता बन हुए धनवान
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