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Justice For Mahesh Kumar Verma

Justice For Mahesh Kumar Verma--------------------------------------------Alamgang PS Case No....

Posted by Justice For Mahesh Kumar Verma on Thursday, 27 August 2015

Tuesday, November 11, 2014

क्या मेला के आयोजक आय व व्यय के डिटेल्स सार्वजनिक कर सकते हैं?

क्या मेला के आयोजक आय व व्यय के डिटेल्स सार्वजनिक कर सकते हैं?

कल मैं पटना पुस्तक मेला 2014 के व्यवस्था पर जो सवाल उठाया था उसे आज दैनिक भास्कर के DB स्टार के पृष्ट 2 पर प्रकाशित किया गया है. मामला को समाचार पत्र में स्थान देने के लिये दैनिक भास्कर परिवार को धन्यवाद. 
http://epaper.bhaskar.com/detail/?id=8855&boxid=111114024621&ch=bihar&map=map&currentTab=tabs-1&pagedate=11%2F11%2F2014&editioncode=385&pageno=2&view=image 


DB स्टार में प्रकाशित खबर के अनुसार मेला के व्यवस्था पर मेला के आयोजन समिति के रत्नेश्वर जी कहे कि अपनी तरफ से हम कोई कमी नहीं छोड़े हैं पर इतनी संख्या में लोग आते हैं अतः संभव है कि एक-दो की उम्मीदों पर हम खरे नहीं उतरे.

रत्नेश्वर जी का यह बयान पूर्णतः टाल-मटोल वाला बयान है. मैं आयोजन समिति से जानना चाहता हूँ कि वे आम लोगों के लिये आखिर किस सुविधा की व्यवस्था किये हैं? स्टाल वालों से व आगंतुक से इतनी अधिक मात्रा में पैसे लिये जाने के बाद भी तो आपने कोई व्यवस्था नहीं किया है, सिवाय पार्टीशन कर स्टाल वाले को अपने किताब रखने के लिये जगह देने के. आप खुद अपनी कमी को देखें.
  1. टिकट काउंटर पर काउंटर नंबर नहीं है जिससे कि किसी भी प्रकार के दिक्कत होने पर सही काउंटर की जानकारी देते हुये कोई सूचना या शिकायत उचित स्थानों तक पहुंचाया जा सके.
  2. इसी तरह पुस्तकों के स्टालों पर भी स्टाल नंबर नहीं लिखा गया जिससे कि लोग किसी खास स्टाल को आसानी से पहचान सके या वहाँ दुबारा आसानी से पहुँच सके.
  3. मेला कैंपस के बाहर व भीतर मुख्य प्रवेश द्वार के नजदीक सभी स्टालों के आयोजकों के नाम उनके स्टाल नंबर सहित एक बड़ी बोर्ड में लिखा रहना चाहिये था. ताकि लोग किसी खाश प्रकाशक के बारे में यह जान सके कि उनका स्टाल लगा है या नहीं और है तो वह कहाँ पर है. पर आपने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं किया.
  4. आपको किसी भी प्रकार के समस्या / सहायता / शिकायत दर्ज करने के लिये एक हेल्प लाइन नंबर की व्यवस्था करना चाहिये था. और इस नंबर को प्रवेश द्वार के बाहर व भीतर प्रवेश द्वार के नजदीक व अन्य जगहों पर भी स्पष्ट रूप से बैनर लगाकर या अन्य उचित तरीका से डिस्प्ले कराना चाहिये था. साथ ही इसके लिये आपका एक स्टाल मुख्य प्रवेश द्वार के नजदीक रहना भी चाहिये ताकि जरुरत पड़ने पर लोग उनसे कुछ पूछ सके या कोई सहायता ले सके. पर आपने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं किया.
  5. आप मेला में तो कुछ बैंक का स्टाल लगवा दिये पर किसी भी बैंक का एक भी एटीएम नहीं लगवाये. एटीएम मेला के लिये एक महत्वपूर्ण सुविधा है ताकि लोगों के पॉकेट के पैसा समाप्त हो जाने पर भी वे एटीएम से पैसा निकाल कर अपनी खरीददारी जारी रख सके.
  6. आप यह तो महसूस किये कि आने वाले लोगों के पेशाब-पैखाना के लिये मूत्रालय व सौचालय होना चाहिये और आप ऐसा व्यवस्था किये भी. पर आप यह महसूस नहीं किये कि पेशाब-पैखाना के बाद अंग धोने के लिये पानी की व्यवस्था भी होनी चाहिये. इसी तरह आपने पीने के लिये भी पानी की व्यवस्था नहीं किये. यहाँ तक कि जहाँ खाने-पीने / नास्ता / खाना का स्टाल है उसके नजदीक भी आपने पानी की व्यवस्था नहीं किये. पुरे मेला में कहीं भी पानी की व्यवस्था नहीं है, सिवाय स्टाल से पैसे पानी के बोतल बिक्री का. क्या आपकी सोच में पानी का कोई महत्व नहीं है?
  7. आप स्टाल वालों से प्रति स्टाल दस हजार रुपये से ढाई लाख रुपये तक लिये पर उनकी पुस्तकों की सुरक्षा के लिये आपने कोई व्यवस्था नहीं किया. यहाँ तक कि बाहर निकलने वाले लोगों के साथ के किताब और बिल को भी नहीं चेक किया जा रहा है. यदि आप यहाँ कहेंगे कि स्टाल वालों को खुद अपनी पुस्तक की सुरक्षा करनी है कि कोई किताब चुराकर नहीं ले जाये. तब मैं आपने पूछना चाहता हूँ कि तो आप प्रति स्टाल दस हजार रुपये से ढाई लाख रुपये तक किस कार्य के लिये लिये? क्या यह रकम सिर्फ एक पार्टीशन कर किताब रखने की जगह भर देने लिये लिया गया है?
  8. आप आने वाले पुस्तक प्रेमी / आगंतुक से प्रवेश शुल्क के रूप में 5 रुपये ले रहे हैं. साथ ही आगंतुक के साइकिल या वाहन लगाने ले किये पार्किंग चार्ज भी अलग से ले रहे हैं. आखिर पार्किंग चार्ज व प्रवेश शुल्क के रूप में पैसे लेने की क्या जरुरत हैं? स्टाल वालों से प्रति स्टाल दस हजार से ढाई लाख रुपये तक जो लिये गये हैं, क्या वह इतनी पर्याप्त रकम नहीं है कि प्रवेश व पार्किंग निःशुल्क किया जा सके. सीधी सी बात है कि यदि आप स्टाल वाले से इतनी बड़ी रकम लिये हैं तो आपको प्रवेश व पार्किंग निःशुल्क रखना चाहिये. और यदि आप प्रवेश व पार्किंग के लिये पैसे लेते हैं तो आपको स्टाल वालों से पैसा नहीं लेना चाहिये.
  9. किसी भी प्रकार के अनहोनी या अपराध होने की स्थिति में सुरक्षा व्यवस्था के लिये या इससे निबटने के लिये आपने कोई पुलिसकर्मी को तैनात नहीं करवाया.
  10. अगजनी जैसी घटनाओं से तत्काल निबटने के लिये आपने वहाँ नजदीक में कोई दमकल की व्यवस्था भी नहीं किये.
  11. आपको आकस्मिक स्थिति से निबटने के लिये वहाँ First Aid की व्यवस्था भी करनी चाहिये थी पर आपने यह भी नहीं किया.

इस प्रकार आपने स्टाल वालों से व आने वाले आगंतुक से बहुत ही भारी मात्रा में पैसा वसूल करने के बाद भी किसी भी तरह की मूलभूत सुविधा की व्यवस्था नहीं किया. क्या आप मेला के आय व व्यय का पूर्ण डिटेल्स सार्वजनिक कर सकते हैं ताकि स्टाल वाले व आम लोग यह जान सके कि उनके पैसे का कितना सदुपयोग हुआ है?

-- महेश कुमार वर्मा 
(स्वतंत्र लेखक)

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