भारतीय गणतंत्र के 63 वर्ष
मित्रों,
कुछ दिन बाद राष्ट्र 64वाँ गणतंत्र दिवस मनाएगा। भारतीय गणतंत्र के 63 वर्ष हो गए पर यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भी आम लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं। ये पग-पग पर जुल्म व अन्याय के शोषण हो रहे हैं आज ये न तो सुरक्षित हैं न तो इन्हें उचित न्याय ही मिल पाता है। हर ओर भ्रष्टाचार व्याप्त है। गलत व अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने पर ये और भी असुरक्षित हो जाते हैं, साथ ही ऐसी स्थिति में इनके साथ गलत व अन्याय और भी बढ जाता है। आज न्याय पाना भी मुश्किल हो गया है। अदालत में भी न्याय की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि पीड़ित को उसके जिन्दा रहते न्याय मिल ही जाएगा यह कहना भी मुश्किल है, तथा जबतक न्याय नहीं मिला तबतक वे मानसिक पीड़ा झेलते रहते हैं। कितने लोग इस प्रकार के जुल्म, शोषण व अव्यवस्था के शिकार से मानसिक रुप से इतने प्रताड़ित होते हैं कि ऊब कर वे या तो मौत को गले लगा लेते हैं या अपराध जगत में कदम रख देते हैं।
सोचें कि इस प्रकार के परिस्थिति के लिए कौन जिम्मेवार है? आखिर कब हमें स्वच्छ व अपराध मुक्त समाज मिलेगी?
-- महेश कुमार वर्मा
4 comments:
प्रभावशाली ,
जारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।
सच इन 64 वर्ष में क्या खोया क्या पाया विचारनीय है ...काश शासक -प्रशासक यह मंथन कर पाते और आम आदमी का दुःख-दर्द समझ पाते ..
सार्थक चिंतन हेतु आभार
प्रभावशाली ,
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क्षमा करें। 64वाँ गणतंत्र दिवस है पर गणतंत्र के 63 वर्ष ही हुए हैं। लिखने में गलती हो गयी। उस अनुसार सुधार कर दे रहा हूँ।
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