परीक्षा केन्द्र पर गये बिना परीक्षा पास
करें
यह सभी जानते हैं कि परीक्षा में कदाचार से
विद्यार्थी के शिक्षा का सही आकलन नहीं हो पाता है. और कदाचार के द्वारा परीक्षा पास कर उच्चतर वर्ग
में नामांकन लेने के बाद फिर विद्यार्थी किस प्रकार क्या सीख पाएगा यह आप समझ ही
रहे हैं. वे कभी भी अपने विषय का सही
ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकेंगे. पर इतना समझने के बावजूद भी विद्यार्थी व उनके
अभिभावक किसी भी तरह से कदाचार से परीक्षा पास करना ही अपना लक्ष्य बना लेते हैं. और इस कार्य में अभिभावक की अलावा स्कूल, कॉलेज,
इंस्टीच्यूट के परीक्षा संचालन के स्टॉफ सहित केन्द्राधीक्षक की भी अहम भूमिका
रहती है. और वे तो अब कदाचार के सीमा को
इतना तक पार कर गये हैं कि इसके बाद तो परीक्षा शब्द का मतलब ही नहीं रह जाता
है. ........... परीक्षा केन्द्र पर गये बिना परीक्षा पास होना,
प्रश्न का उत्तर लिखे बिना परीक्षा पास होना .............. ये सब इन्हीं कदाचार
के उदाहरण हैं. .................. जी हाँ, इस तरह के कदाचार भी जोर-शोर से चल रहा
है व संबंधित पदाधिकारी का पॉकेट भी अच्ची तरह से गरम हो रहा है. और इस तरह की घटनाएँ छोटे परीक्षाओं से लेकर
अच्छे-अच्छे विश्वविद्यालय के परीक्षाओं में भी हो रही है. ................ ऐसा ही एक घटना मैं आपको सुनाना चाहता हूँ जो
परीक्षा के इस कदाचार को भी प्रमाणित करती है व कदाचार में सेंटर के डायरेक्टर का
साथ नहीं देने पर किस प्रकार वे एक ईमानदार स्टॉफ को कार्य पर नहीं रखते हैं, यह
भी स्पष्ट होता है. तो सुनें वह घटना जो
मेरे ही साथ घटी है -
27 जनवरी 2012 की बात है – मेरी मुलाकात मौलाना
मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय (Maulana Mazharul Haque Arbic and
Persian University) के अंतर्गत चलने वाले Patliputra Institute of Technology and
Management, Patliputra Colony, Patna डायरेक्टर Prof. V. K.
Singh (Mob. No.: 9386803802) से हुयी.
मुझसे मिलने के बाद वे मुझसे प्रभावित हुये. वे मुझे अपने यहाँ कार्य पर रखना चाहे. मैं भी अच्छा कार्य ढूँढ ही रहा था. ............
वे मुझसे बातचीत कर मेरा Resume विचारार्थ रख लिए. कुछ दिनों के बाद वे मुझे बुलाये व Computer पर कार्य करवाकर
मेरा Interview लिए व फिर मेरा सारा Certificates का Xerox Copy व एक फोटो जमा
करवा लिए. ......................
इसके बाद वे मुझे रोज
बुलाने लगे तथा मेरा कागजात University भेज दिए हैं
............... आज order होगा ............. कल order होगा .......... Registrar अभी बाहर गये हुए
हैं, वे आएँगे तब order हो जाएगा ............... आपका selection बेगुसराय सेंटर
के लिए confirm है ................. 1 मार्च को joining करना है
.............. Registrar बीमार पड़ गए हैं ............. – इस प्रकार की
बात वे करने लगे पर वे मुझे रोज आकर मिल लेने के लिए कहते थे.
इसी तरह की बातें कई
दिनों तक होती रही. इसी बीच 17.02.2012 से
उस centre पर यानी Patliputra Institute of Technology
and Management पर B. Com. की परीक्षा प्रारंभ होने
वाली थी. इस परीक्षा के लिए Director V.
K. Singh मुझे एक परीक्षार्थी का परीक्षा का copy लिखने के लिए
कहे. मुझे copy मिलता और मैं उसे
अपने घर पर ले जाकर लिखता ............ इस कार्य के लिये वे मुझे पैसे का प्रलोभन
भी दिए. उसी तरह मैं यहाँ भी इस कार्य से
इंकार नहीं किया जिस प्रकार मैं RSBY के कार्य में इंकार नहीं किया था.
................. 17 तारीख आने पर University के Programme के अनुसार
परीक्षा प्रारंभ हो गयी पर उस परीक्षार्थी का copy नहीं लिखा
गया. एक दिन Director V.
K. Singh पुनः कह रहे थे कि copy रखा हुआ है, कहो
तो दे देते हैं लिख दो ........... पर वे सिर्फ अपना फायदा ही देख रहे थे, वे मुझे
पहले पैसा देने के लिए तैयार नहीं हुए और मैं स्पष्ट कह दिया कि पहले payment होगा तब लिखेंगे
और इस प्रकार मैं copy लिखने के लिए तैयार नहीं हुआ. ................. इसपर वे मुझपर गुस्सा गये व बोले कि जब तुमको
मुझपर विश्वास ही नहीं है तो फिर मैं क्यों तुमको रखूँगा, जाओ यहाँ से
................ पर फिर बाद में मेरा appointment का order के बारे में पता
करने के लिए बोले. ................ पर अंततः 25 या 26 फरवरी तक यह कार्य नहीं
हुआ. फिर आगे मैं पुछना भी छोड़ दिया. इसके बाद मैं न तो उनसे मिला न तो फोन ही
किया. .......................
इस घटना से क्या निष्कर्ष
निकलता है, आप खुद समझ सकते हैं.
..................... यह तो स्पष्ट ही है कि मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं
फारसी विश्वविद्यालय के Patliputra Institute of Technology and Management,
Patliputra, Patna में परीक्षार्थी को centre पर गए बिना भी
परीक्षार्थी का copy लिखा जाता है व परीक्षा के दिन बित जाने की बाद
भी copy लिखा जाता है. ............................
अब आप सोच सकते हैं कि
जहाँ नितिश सरकार के कार्यकाल में विकास की चर्चा है वहाँ वास्तव में यह राज्य विकास
की ओर है या शिक्षा-जगत में इस प्रकार के कदाचार से पतन की ओर है? ........................ और आप सोचें कि शिक्षा-जगत में इस प्रकार के
कदाचार से क्या बिहार या हमारा देश कभी विकास कर पाएगा?
-- महेश कुमार
वर्मा
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