प्यार की परीक्षा
मेरे प्यार को तुने पैरों तले रौंद दिया
पर तेरे पग धुरी को भी मैं प्रसाद के तरह स्वीकार किया
किस तरह लोगे मेरे प्यार की परिक्षा
भूखे रखकर, अग्नि में जलाकर या जहर पीलाकर
चाहे जिस तरह ले लो मेरे प्यार की परीक्षा
पर तुम्हें चाहा है तुम्हें ही चाहेंगे
तड़पाओगे तो तड़पते रहेंगे
रुलाओगे तो रोते रहेंगे
भूखे रखोगे तो भूखे ही रहेंगे
पर तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे
क्योंकि किया हूँ मैं तुमसे प्यार
किया हूँ मैं तुमसे प्यार
-- महेश कुमार वर्मा
3 comments:
लाजवाब,,
कुल मिला के प्रेमी,प्रेमिका का पीछा नही छोड़ेगा |
बहुत खूब लिखा है आपने...|
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार..|
माफ कीजिएगा अंतिम पंक्तियों की तुक्क बंदी मुझे कुछ ठीक नहीं लगी "क्यूंकि किया हूँ मैं तुमसे प्यार" की जगह ,"मैंने प्यार तुम्ही से किया है" ज्यादा अच्छा लगता ऐसा मेरा मानना है कृपया अन्यथा न लें जो मुझे सही लगा मैंने कह दिया सादर....
सच्चा प्यार कैसे जानेंगे
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